ChhattisgarhRegion

होलिका दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने व होलिका की राख से खेली गई होली

Share

सुकमा। जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी. दूर स्थित पेंदलनार गांव जहां आदिवासी और यादव समाज के लगभग 800 की आबादी वाले गांव में सुख-शांति स्थापित हो और सभी के दुख-दर्द दूर हो इसलिए गुरूवार रात्री में गांव वाले होलीका दहन संपन्न करने के बाद इससे बने धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते है। ग्रामीण इसे देवी कृपा मानते हुए उनके पैरों में कोई भी जलने का निशान नहीं होता है। उसके बाद शुक्रवार को दूसरे दिन उसी राख से ग्रामीणों ने होली खेलने की परंपरा का निर्वहन किया। पेंदलनार गांव अनोखी होली मनाने के नाम से प्रसिद्ध है, यहां आज भी सैकड वर्ष पुरानी परंपराओं को निभाया जा रहा है। इसके साथ ही होली के तीन-चार दिन पहले से ही वहां के युवा और बुर्जुग घेर (डांडिया) खेलते हैं।
पेंदलनार गांव के रमेश यादव ने बताया कि होली से ठीक तीन-चार दिन पहले से शाम होते ही युवा और बुजुर्ग घेर (डांडिया) आपस में खेलते हैं। इसके बाद होली के दिन यहां होलिका दहन के बाद गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग लोग धधकती आग पर चलते हैं। मान्यताओं के मुताबिक होलिका दहन के बाद दूसरे दिन राख के ढेर से लोग होली खेलते हैं। हालाकि वर्तमान में गांव के युवा होली के दिन रंग-गुलाल जरूर लाते हैं लेकिन पंरपराओं को भी निभाया जा रहा है।

GLIBS WhatsApp Group
Show More
Back to top button