हिड़मा के ही मारे जाने के बाद केंद्र कभी भी बस्तर को कर सकती है नक्सल मुक्त घोषित

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में कुख्यात नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा को मारने (मुठभेड) के लिए बीते 8 महीने में अकेले बस्तर में 10 हजार से ज्यादा सुरक्षाबलों जिसमें डीआरजी, सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन, एसटीएफ, बस्तर बटालियन और पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे में हिड़मा को ढूंढ रहे थे। दिन-रात जवान जंगल, पहाड़ में सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे थे। कई बार तो मुठभेड़ होते-होते रह गया और मौका पाकर हिड़मा भाग निकला। लेकिन आतंक का चेहरा बन चुके हिड़मा का खात्मा आंध्रप्रदेश के जवानों की गोलियों से हुआ। बस्तर की सुरक्षाबलों को बस इसी बात का मलाल है कि हिड़मा हमारी गोली से नहीं मारा गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने के लिए फोर्स को 10 महीने पहले 31 मार्च 2026 तक की डेडलाइन दी थी। अब लगता है कि इसके पहले केंद्र कभी भी बस्तर को नक्सल मुक्त होने की घोषणा कर सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार को हिड़मा के ही मारे जाने का इंतजार था। उसके खात्मे से अब दक्षिण बस्तर नक्सल मुक्त माना जाता सकता है। विदित हो कि उत्तर बस्तर से पहले ही नक्सलवाद का सफाया हो चुका है।
रिटायर्ड एडीजी नक्सल आरके. विज बस्तर की नक्सल समस्या को अच्छी तरह से समझते हैं, आरके. विज बस्तर आईजी के रूप में अपनी सेवायें दे चुके हैं, उनका कहना है कि नक्सलियों के पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर-1 का कमांडर माड़वी हिड़मा का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी सफलता है। वह शुरू से ही दक्षिण बस्तर में मिलिट्री कार्रवाई में सक्रिय रहा है। वह उन लीडरों में से एक था जो शस्त्र संघर्ष को जारी रखना चाहता था । इसलिए वह आंध्र की ओर चला गया था। अब नीचे के कैडर का मनोबल टूटेगा, दक्षिण-पश्चिम बस्तर के नक्सलियों का अभी के आत्मसमर्पण करना बाकी है । हालांकि अभी नक्सलियों के संगठन में कुछ बड़े लीडर जैसे देवजी, मिसिर बेसरा, बारसे देवा, गणपति मौजूद हैं, जो लड़ाई जारी रखना चाहते हैं। वहीं तेलंगाना और ओडिशा स्टेट कमेटी ने अभी भी लड़ाई जारी रखने के संबंध में स्टेटमेंट जारी किया है। इसलिए हो सकता है कि यह लड़ाई कुछ समय तक और चले, लेकिन नक्सली काफी कमजोर हो चुके हैं और लडऩे की क्षमता भी कम हो चुकी है। इसलिए विजय अंतत: जवानों की होगी। सुरक्षाबलों को चाहिए कि वे अलर्ट रहे और ऑपरेशन जारी रखे। इसके साथ ही राज्य सरकार विकास और पुनर्वास पर फोकस करे।
नक्सलियों के पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर-1 का कमांडर एवं वर्तमान में 2023-24 में सीसीएम माडवी हिड़मा के मारे जाने के बाद बस्तर आईजी सुंदरराज पी. से प्राप्त पूरी पुलिस प्रेफाईल में बताया गया है कि माड़वी हिडमा का उ$र्फ /अन्य नाम हिडमालू, हिडमन्ना,संतोष,देवा,विलास,अनिल उम्र 50 वर्ष निवासी पवूर्ती,जगरगुंडा, सकमा (छत्तीसगढ़) शिक्षा-गांव की प्राथमिक शाला में पांचवी तक की पढ़ाई की है। कोया ,गोंडी, हल्बी,दोरला, हिंदी, छत्तीसगढ़ी, तलेगु भाषा का जानकार था। नक्सली संगठन में हिडमा की भर्ती बाल संगठन सदस्य के तौर पर बद्रन्ना ने 1991 में की थी। संगठन में पद- 1991 बाल संगठन के सदस्य के रूप में नियक्त। 2002 – बालाघाट क्षेत्र में सक्रिय, 2004 – कोंटा एरिया कमेटी सचिव नियक्त। 2007 – कंपनी नंबर 03 कमांडर। 2009 – पीएलजीए बटालियन उप कमांडर। 2009-2021 – सन्यै बटालियन प्रभारी/कमांडर। 2011 – दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (ष्ठ्यसर््ंष्ट) सदस्य और बटालियन प्रभारी। 2023-24 में सीसीएम (ष्टष्टरू) के रूप में नक्सली संगठन में सक्रिय रहा। पत्नी राजे/राजक्का, जो गोलापल्ली पलिु स स्टेशन क्षेत्र के तहत वीरापरमु की निवासी हैंऔर डीवीसी (सीवाईपीसीएम) हैं, वर्तमान में एमओपीओएस (मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल) की प्रमुख रही।
माड़वी हिडमा मुख्य हमलों/साजि़श में शामिल रहा जिसमें -वर्ष 2005 – इनजिरम आईईडी विस्फोट हमला: 6 सरक्षाकर्मी बलीदान। वर्ष 2006 – दरभागुड़ा (एर्राबोर) सलवा जडुूम आंदोलन के दौरान वाहन में विस्फोट: 28 नागरिक मारे गए और 28 घायल। वर्ष 2006 – मानिकोंटा (एर्राबोर) सलवा जडुूम आदोलन पर हमला: 15 नागरिक मारे गए और 18 घायल। वर्ष 2006 – कोटाचेरू आईईडी विस्फोट हमला: 9 सुरक्षाकर्मी बलीदान। वर्ष 2007 – उरपाल मेट्टा हमला (एर्राबोर): 23 जवान बलीदान । वर्ष 2007 – एर्राबोर राहत शिविर पर हमला और आगजनी: 33 ग्रामीण मारे गए, सुरक्षाकर्मी भी बलीदान हुए। वर्ष 2007 – मेटागुड़ा एर्राबोर आईईडी विस्फोट हमला: 8 सुरक्षाकर्मी बलीदान । वर्ष 2007 – ताड़मेटला पुलिस-नक्सली मुठभेड़: 12 सरक्षाकर्मी बलीदान । वर्ष 2007 – तारलागुड़ा गोलापल्ली पुलिस-नक्सली मुठभेड़: 12 सुरक्षाकर्मी बलीदान। वर्ष 2009 – मिनपा चिंतागंफा पुलिस-नक्सली मुठभेड़: 10 सुरक्षाकर्मी बलीदान, 7 घायल। वर्ष 2009 – आसिरगुड़ा इनजिरम आरओपी ड्यूटी : राशन ट्रैक्टर पर आईईडी विस्फोट से हमला: 7 सुरक्षकर्मी बलीदान, 4 ग्रामीण मारे गए। वर्ष 2010 – ताड़मेटला चिंतागुफा हमला: 76 जवान बलीदान। वर्ष 2014 – पेंटापड़-भेज्जी में पुलिस पर गोलीबारी, 3 जवान घायल। वर्ष 2014 – कासलपाड़ किस्टाराम पुुलिस-नक्सली मुठभेड़: 14 सुरक्षाकर्मी बलीदान । वर्ष 2015 – पिडमेल चिंतागुफा पुलिस-नक्सली मुठभेड़: 7 सुरक्षाकर्मी (पीसी शंकरराव सहित) बलीदान, 14 घायल। वर्ष 2017 – बरकापाल चिंतागुफा हमला: 25 सुरक्षाकर्मी बलीदान । वर्ष 2017 – बंकुपारा भेज्जी पुलिस-नक्सली मुठभेड़: 12 सुरक्षाकर्मी बलीदान, 2 घायल। वर्ष 2020 – मिनपा चितागं ुफा हमला: 17 जवान बलीदान। वर्ष 2021 – टेकलगुडमे मुठभेड़: 22 सुरक्षाकर्मी बलीदान। वर्ष 2024 – धरमावरम कैंप हमला की वारदातों में शामिल रहा।
माडवी हिड़मा पर 6 राज्य की सरकारों ने कुल ईनामी राशि एक करोड़ अस्सी लाख रूपये घोषित कर रखा था, जिसमें 40 लाख (छत्तीसगढ़), 50 लाख (महाराष्ट्र), 25 लाख (ओडिशा), 25 लाख(आंध्र प्रदेश), 25 लाख(तेलंगाना ), 15 लाख(मध्यप्रदेश) की सरकार ने घोषित कर रखा था।







