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कोलावाड़ा गांव में शिक्षा की अनोखी क्रांति-ग्रामीणों ने खुद संभाली कमान

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रायपुर। जगदलपुर से महज 30 किलोमीटर दूर बस्तर के वनांचल में स्थित इस छोटे से गांव कोलावाड़ा में कुछ ऐसा हो रहा है जो हर गांव के लिए एक मिसाल बन रहा है। पेसा कानून के तहत बनी ग्राम स्तरीय शिक्षा समिति ने गांव की शिक्षा व्यवस्था को न केवल संभाल लिया है, बल्कि उसे नई दिशा भी दे रही है। सरपंच, पंच, ग्राम सभा अध्यक्ष, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, गांव के बुजुर्ग, महिलाएं और युवा सभी मिलकर एक टीम बन चुके हैं।
प्रशासन भी शिक्षा समिति को कर रहा सहयोग
इस टीम के सदस्य विश्वनाथ नाग और प्रेमकुमार नाग ने बताया कि टीम में समर्पित सदस्यों की भूमिका सराहनीय है, जो हर कदम पर आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इनका मकसद साफ है प्रशासन के सहयोग से बच्चों को पढ़ाना, स्कूलों पर नजर रखना एवं शाला प्रबंधन सहित आंगनबाड़ी की गतिविधियों को सुचारु करना और गांव की हर समस्या को शिक्षा के जरिए सुलझाना। इस दिशा में शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित शिक्षकों का भी अहम भूमिका है।

पेसा कानून के तहत बनी ग्राम स्तरीय शिक्षा समिति उठाया गांव की शिक्षा का जिम्मा
हर घर जाकर दे रहे शिक्षा का संदेश
पिछले दो महीनों से समिति के सदस्य हर पारा, हर मोहल्ले में घर घर पहुंच रहे हैं। माता-पिता से बात कर बच्चों को समझा रहे हैं कि पढ़ाई ही आगे बढ़ने का रास्ता है। स्वच्छता, स्वास्थ्य, मलेरिया से बचाव और सबसे बड़ी बात नशे से दूर रहना, इन सब पर लगातार जागरूकता फैलाई जा रही है। गांव के युवा सरकारी नौकरियों तक पहुंच सकें, इसके लिए अभी से पूरे गांववासियों ने मिलकर प्रयास शुरू कर दिया है।
रूपये इक्कट्ठे कर बच्चों को दे रहे शिक्षण सामग्री
यहां बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। गांव के युवाओं और समिति सदस्यों ने अपनी जेब से पैसे निकाले। जागरूक ग्रामीणों ने कुल 6,050 रुपए इकट्ठे किए और इस पैसे से बच्चों की पढ़ाई के लिए अतिरिक्त सामग्री पेन, कॉपी, पहाड़ा चार्ट, तीन व्हाइट बोर्ड, बल्ब, तार और होल्डर आदि खरीदी गई। हर पारा को एक बोर्ड मिला, ताकि बच्चे ग्रुप में पढ़ सकें। शाम ढलने पर भी पढ़ाई न रुके, इसके लिए बिजली की व्यवस्था की गई।
गांव के युवा बच्चों को दे रहे निःशुल्क ज्ञान
अब गांव के ही युवा स्वयंसेवकों ने भी बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर पहली से आठवीं तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए सामग्री बांटने का दिन यादगार रहा। सरपंच, पंच, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बुजुर्ग, महिलाएं पूरा गांव उमड़ पड़ा। आंगनबाड़ी से लेकर आठवीं तक के शिक्षकों की मेहनत की तारीफ हुई। बच्चों के हाथों में नई कॉपियां, पेन और बोर्ड थमाए गए। समिति ने वादा किया आगे भी सहयोग जारी रहेगा।

पेसा कानून के तहत बनी ग्राम स्तरीय शिक्षा समिति उठाया गांव की शिक्षा का जिम्मा
स्कूल से ली छुट्टी तो शिक्षा समिति पहुंचेगी घर
स्कूल से गायब बच्चे अब घर पर नहीं बैठेंगे। शिक्षा समिति उनके घर जाएगी, कारण जानेगी और स्कूल भेजेगी। नशे की लत को दूर करने के लिए भी साथ में अभियान चलाया जा रहा है। स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्यक्रम हो रहे हैं। स्कूल और आंगनबाड़ी की नियमित निगरानी हो रही है। जो बच्चा पढ़ने में रुचि दिखाएगा, उसे किताबें, पेन, जरूरत की हर चीज मिलेगी। अगले सत्र में जो बच्चा प्रथम श्रेणी लाएगा, उसे ग्राम सभा और समिति की ओर से इनाम जरूर मिलेगा।
कोलावाड़ा अब सिर्फ एक गांव नहीं रहा। यह एक उम्मीद बन चुका है। जहां लोग खुद अपने बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। जहां शिक्षा कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि गांव की अपनी मुहिम बन गई है। बस्तर का यह कोना अब पूरे राज्य को बता रहा है जब इच्छाशक्ति हो, तो रास्ते अपने आप बनते हैं।

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