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गोवर्धन पूजा पर निभाई जाती है सदियों पुरानी परंपरा, पढ़े पूरी खबर,,,

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गरियाबंद। मैनपुर-कला गांव में गोवर्धन पूजा पर सदियों पुरानी परंपरा निभाई जाती है। यहां गोबर से बने गोवर्धन पर्वत को गौवंशों द्वारा रौंदा जाता है और इस दौरान दो पुरुषों को देव सवार किया जाता है, जिन्हें सिरहा कहा जाता है। सिरहा को गौवंशों द्वारा रौंदा जाता है, लेकिन उन्हें एक खरोच भी नहीं आती है।
ग्रामीणों का मानना है कि इस परंपरा से फसल रोगमुक्त रहती है और चेचक जैसी बीमारियां गांव में नहीं आती हैं।
गोवर्धन पर्वत को रौंदने के बाद, इसे ग्रामीण अपने घर ले जाते हैं और खेतों में छींटते हैं।
घर के मुख्य द्वार पर लगाने और माथे पर तिलक करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है।
यह परंपरा न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती है, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रतीक भी मानी जाती है।
ग्रामीणों की गहरी आस्था इस परंपरा से जुड़ी हुई है और यह सदियों से निभाई जा रही है।

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