Chhattisgarh

सनातन संस्कृति की वैज्ञानिकता व वैश्विक स्वीकार्यता विषय पर व्याख्यान माला 2024

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रायपुर : अभियंता परिषद द्वारा श्रद्धेय डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी के जन्म दिवस चौत्र शुक्ल प्रतिपदा के परिप्रेक्ष्य में सनातन संस्कृति की वैज्ञानिकता व वैश्विक स्वीकार्यता विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मुख्य वक्ता डॉ विकास दवे निदेशक, साहित्य अकादमी म प्र शासन भोपाल एवं अध्यक्षता डॉ राजेश कुमार त्रिपाठी, डीन, सिविल इन्जीनियरिंग राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर ने की।

प्रारम्भ मे संघ से सम्बंधित वृत चित्र का प्रदर्शन हुआ पश्चात डॉ पुरषोत्तम चन्द्राकर व उनके सहयोगी कलाकारों द्वारा डॉ हेडगेवार जी के जीवन के प्रमुख अंशों पर जीवन्त नृत्य नाटीका की प्रस्तुति दी.

प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ पुरषोत्तम चन्द्राकर ने अपनी प्रस्तुति में डॉ हेडगेवार जी को मंच पर सशरीर विराजित होने का सुखद अहसास करा दिया। परिषद द्वारा उनका नागरिक सम्मान किया गया।

मुख्य वक्ता डॉ. विकास दवे ने विषय रखते हुए अत्यन्त रोचक तथा तथ्यों पर अधारित प्राचीन भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया। आपने प्रतिपादित किया कि ग्रामोफोन का वर्णन वेद की प्रथम ऋचा में है, इसी प्रकार विदेशी नागरिक मेक्समूलर द्वारा भारत के संस्कृत ग्रन्थो का अध्ययन कर भाषा वैज्ञानिक बने। ध्वनी तरंगो को प्रकाश में परिवर्तित करने का ज्ञान हजारों वर्ष पूर्व से ही गिरी कन्दराओं में रहने वाले हमारे भारत के वनवासी ऋषि मुनियों को था। पंचभूतो से नानव रचना होने के कारण ही बालक जन्म से स्वाभाविक रूप से अग्नि, जल, वायु, आकाश, भूमि कि और आकर्षित होता है, इस स्वाभाविक प्रेरणा के मूल विज्ञान की समझ भारतीयों को सदियों पूर्व थी। इसी प्रकार भारतीय पंचाग के रूप मे सुक्ष्म गणना द्वारा ज्योतिष का ज्ञान काल गणना, मौसम का पूर्वानुमान, तीज त्यौहार, चन्द्र ग्रहण, सुर्य ग्रहण सहीत अन्य खगोलिय घटनाओं का पूर्वानुमान कर लिया जाता है. 2 पैसे की पंचाग में सभी पुर्वानुमानित रहता है। पूर्वजन्म की भारतीय अवधारणा को पश्चिम ने अब स्वीकार कर लिया है. इस प्रकार सनातन परमपराएं व गौरवमयी भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता सिद्धता पर मुख्य वक्ता द्वारा प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. राजेश त्रिपाठी ने गुलामी की मानसिकता से बाहर आकर गौरवशाली सनातन संस्कृति के सम्पन्न विज्ञान को जो सम्पूर्ण मानव जागत व पृथ्वी के लिये समावेशी है. उस पर गर्व करने की अपील की। आपने आगे कहा कि देश भक्ति समर्पण के प्रति संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जिनका पुण्य स्मरण कर रहे है. उनके विचारों को ग्रहण कर अपने जीवन को सार्थक करें।

कार्यक्रम के संयोजक गिरधारी सागर ने सभी अतिथीयों का स्वागत करते हुए कहा कि-अभियंता परिषद वर्ष 2016 से लगातार श्रद्धेय डॉ. हेडगेवार जी के जन्मदिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के उपलक्ष्य मे समसामायिक विषय पर व्याख्यान का आयोजन करता आ रहा है!

आज हम जिनके जन्म दिवस पर एकत्रित हुए है उनके द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपूर में वर्ष 1925 मे कर कार्य प्रारम्भ किया था उनके द्वारा रोपा गया पौधा आज शतायू पूर्ण कर विशाल वट वृक्ष का आकार ले लिया है जिसकी शाखाएं सम्पर्ण भारतवर्ष ही नहीं अपितु विदेशी धरती पर भी पुष्पित पल्लवित हो रही है। किसी भी संगठन का शून्य से शतक की ओर अविचल गति से आगे बढ़ना उसकी सुदृण कार्य योजना से ही संभव होता है, डॉ. हेडगेवार जी ने स्थापना से ही कुशल शाखा

पद्धति का जो मंत्र दिया था जिसके फलस्वरूप ही आज संघ कार्य निरन्तर प्रवाहमय है। उन्हीं कि प्रेरणा से अभियंता परिषद अभियंताओं वर्ग के मध्य कार्यरत है। परिषद के उद्देश्यों मे

अभियंताओं के मध्य अपनी अभियान्त्रिकी कौशल से इतर उन्हें समाज व राष्ट्र सेवा हेतू प्रेरित करना व सेवा का अवसर भी प्रदान करना है।

अभियंता परिषद देश हमे देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे के मूल मंत्र से प्रेरण लेकर वर्ष 2009 से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में प्रतिभावान् विद्यार्थियों को लगातार प्रतिवर्ष पुरस्कार प्रदान कर रहा है।

इसके पूर्व श्री अशीष अग्रवाल ने डॉ. हेडगेवार का जीवन वृत सदन में रखते हुए कहा कि उनका मानना था संस्कारयुक्त संगठित समाज ही देश धर्म को दिशा दे सकता है। उन्होंने यह कार्य संघ शाखा पद्धति के माध्यम से व्यक्ति व्यक्ति / स्वयंसेवकों में चरित्र निर्माण का कार्य प्रारंभ किया। जो अनवरत जारी है। कार्यक्रम का संचालन शिव प्रकाश मिश्रा द्वारा किया गया। जन-गण-मण सामूहिक गान् के पश्चात् कार्यक्रम का समापन किया।

कार्यक्रम में प्रान्त संघचालक टोपलालजी, विभाग सहकार्यवाह राघव ज, महानगर कार्यवाह भारत भूषण, दानीराम वर्मा व स्वयंसेवकों के साथ अभियंता गण व प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे।

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