Chhattisgarh

जिसका कोई नही उसका अपना घर आश्रम : गोपाल अग्रवाल

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भूखे व्यक्ति को खाना मिल जाए और बेघर को अपना घर तो इससे बड़ी सौभाग्य की बात और क्या हो सकती है, जी हां राजधानी रायपुर में दीन दुखियों, बेसहारा, मंदबुद्धि, बेघर लोगों के लिए ‘अपना घर आश्रम’ का ठिकाना है, यहां उनके रहने-खाने का इंतजाम ‘अपना घर आश्रम’ में होता है, राजधानी रायपुर का यह आश्रम ने एक वर्ष बेमिसाल रूप से पूरा कर लिया है।

अपना घर आश्रम के संस्थापक गोपाल प्रसाद अग्रवाल है, वर्तमान में इस आश्रम में 100 से अधिक लोगों का देखभाल किया जाता है, आज इस आश्रम के वर्षगांठ के मौके पर ”अपना घर आश्रम” भरतपुर के संस्थापक डॉ. बी एम अग्रवाल और तपस्वी कल्याण दास मौजूद रहे।आश्रम का दृष्टिकोण हर असहाय और बीमार व्यक्ति को बचाना है, जो कठोर और दर्दनाक परिस्थितियों में रह रहे है और मदद , समर्थन के अभाव में मृत्यु की ओर बढ़ रहे हैं, आश्रम का लक्ष्य हर बेसहारा, अनाथ, जरूरतमंद और परित्यक्त व्यक्ति को मुफ्त आश्रय, भोजन, कपड़े, स्वास्थ्य देखभाल, प्यार और सम्मान प्रदान करके उनकी सेवा करना है, आश्रम का मानना है कि थोड़ी देखभाल और स्नेह के बारे में जागरूकता फैलाने से न केवल उन्हें एक नया जीवन मिलेगा बल्कि समाज में परित्यक्त व्यक्ति को सम्मान प्राप्त होगा।
भरतपुर आश्रम के संस्थापक डॉ. ब्रज मोहन भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम एक करुणामयी संगठन है जो बेघर, लाचार और असहाय व्यक्तियों की सेवा करने के लिए समर्पित है, संगठन बेघर, असहाय, निराश और दरिद्र व्यक्तियों के लिए काम कर रहा है, जो आम तौर पर सड़कों के किनारे, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, धार्मिक और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बहुत कठोर और दर्दनाक स्थिति में पाए जाते हैं।

जिन लोगों को समाज ने त्याग दिया है, उन्हें आश्रय, भोजन, पानी और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों तक नहीं पहुंच रही है और उन्हें पीड़ा में छोड़ दिया जाता है, उन्होंने कहा कि इन तमाम लोगों को आश्रम में प्रभु का नाम दिया जाता है क्योंकि यह कोई और नहीं बल्कि प्रभु के ही अनेक रूपों में अवतार बताया है।

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