भव्य भोरमदेव कॉरिडोर का भूमिपूजन कल, निर्माण के लिए 146 करोड़ की मिली है मंजूरी

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत कबीरधाम जिले के भोरमदेव कॉरिडोर का 01 जनवरी को भूमिपूजन करेंगे। इस कॉरिडोर के लिए केन्द्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अंतर्गत 146 करोड़ रूपए की स्वीकृति मिली है। इसके अंतर्गत ऐतिहासिक और धार्मिक केंद्र भोरमदेव मंदिर परिसर एवं आसपास के स्थलों के समग्र विकास किया जाएगा।
भोरमदेव मंदिर परिसर में आयोजित किए जा रहे भूमिपूजन समारोह में उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव और श्री विजय शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री राजेश अग्रवाल, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, लोकसभा संसद श्री संतोष पाण्डेय विधायक श्रीमती भावना बोहरा, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा सहित अनेक पूर्व विधायक, आयोग निगम मंडल के अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप तैयार की गई यह परियोजना धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक गौरव और पर्यटन विकास का त्रिवेणी संगम बनेगी। इसके पूरा होने से भोरमदेव क्षेत्र विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा, वहीं क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
भोरमदेव कॉरिडोर में मुख्य मंदिर से लेकर मड़वा महल, छेरकी महल, रामचुआ और सरोदा जलाशय तक फैले ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को आपस में जोड़ते हुए उनका संरक्षण और विकास किया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन, पुरातत्व विभाग एवं कबीरधाम जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से कार्ययोजना तैयार की है।
भोरमदेव मंदिर परिसर का भव्य विकास के अंतर्गत मुख्य मंदिर में छह आकर्षक प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे, जिनमें नागद्वार प्रमुख होगा। परिसर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक विशाल संग्रहालय का निर्माण, पिलर हॉल, गार्डन, चिल्ड्रन पार्क, प्रसाद मंडप, अनुष्ठान भवन, यज्ञ स्थल, और सीढ़ियों का निर्माण किया जाएगा।
मंदिर परिसर के तालाब का सौंदर्यीकरण करने के साथ-साथ यहां म्यूजिकल फाउंटेन भी बनाया जाएगा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के लिए ठहरने हेतु डोम, छायायुक्त मार्ग, स्टेज और भंडारा भवन का निर्माण प्रस्तावित है। पूरे परिसर और आसपास के ऐतिहासिक स्थलों को शामिल करते हुए प्रवेश द्वार, बाउंड्री वॉल, पेयजल, बिजली, ड्रेनेज सिस्टम, वृक्षारोपण और सड़क उन्नयन आदि के कार्य होंगे।







