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भारतीय रेलवे ने सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य रोड घाट सेक्शन का किया विद्युतीकरण

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रायपुर/बिलासपुर। भारतीय रेल ने सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य रोड घाट सेक्शन का विद्युतीकरण पूरा कर एक महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग उपलब्धि हासिल की है। यह खंड भारतीय रेल नेटवर्क के सबसे कठिन और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
इस उपलब्धि को 28 दिसंबर 2025 को सफल विद्युत लोकोमोटिव ट्रायल के साथ चिह्नित किया गया। इसके साथ ही यह सेक्शन अब पूरी तरह से विद्युत ट्रेनों के संचालन के लिए तैयार हो गया है। इस घाट खंड के विद्युतीकरण से अब पूरा बेंगलुरु-मैंगलुरु रेल मार्ग पूर्णत: विद्युतीकृत हो गया है। इससे क्षेत्र में रेल संपर्क, परिचालन दक्षता और पर्यावरणीय सततता में उल्लेखनीय सुधार होगा। यह परियोजना वंदे भारत सहित अन्य तेज़ विद्युत ट्रेनों के संचालन का मार्ग भी प्रशस्त करेगी, जिससे तटीय क्षेत्र तक तेज़, स्वच्छ और अधिक विश्वसनीय यात्रा संभव हो सकेगी।
विद्युतीकृत यह घाट सेक्शन सकलेशपुर से सुब्रह्मण्य रोड के बीच 55 किलोमीटर में फैला है। यह इलाका अत्यंत जटिल भौगोलिक परिस्थितियों वाला है, जहाँ रेलवे ट्रैक तक पहुँचने के लिए कोई एप्रोच रोड नहीं है। इस खंड में 1 इन 50 की तीव्र ढाल, 57 सुरंगें, 226 पुल और 108 तीखे मोड़ शामिल हैं। यह क्षेत्र विशेष रूप से मानसून के दौरान भूस्खलन की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील रहता है। ऐसे में इस सेक्शन का विद्युतीकरण एक बड़ी इंजीनियरिंग चुनौती रहा।
इस परियोजना का कार्य दिसंबर 2023 में प्रारंभ हुआ। इसके अंतर्गत पाँच स्विचिंग स्टेशन स्थापित किए गए तथा पूर्ण ओवरहेड विद्युतीकरण किया गया। सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ट्रैक्शन पोल्स के बीच अधिकतम दूरी 67.5 मीटर रखी गई।
सुरंगों में विद्युतीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया। 57 सुरंगों में 427 मुख्य ब्रैकेट और 427 स्पेयर ब्रैकेट लगाए गए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स और बेंगलुरु विश्वविद्यालय के सहयोग से विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन किए गए। दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक ब्रैकेट स्थान पर एंकरिंग की मजबूती जाँचने के लिए पुल-आउट टेस्ट किए गए।
तीव्र ढालों के कारण विशेष उपकरणों और सशक्त इंजीनियरिंग समाधानों की आवश्यकता पड़ी। भारी वर्षा, भूस्खलन, मृदा क्षरण और चट्टानों के गिरने से कार्य बार-बार प्रभावित हुआ। कई दुर्गम और दुश्प्राप्य स्थानों तक सामग्री पहुँचाने के लिए रेलवे के माध्यम से परिवहन करना पड़ा। पूरे प्रोजेक्ट के दौरान कठोर सुरक्षा मानकों का पालन किया गया। ढालों की कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म योजना के साथ कार्य किया गया, ताकि परियोजना अवधि में ट्रेन संचालन सुरक्षित और निर्बाध बना रहे।
विद्युतीकरण पूरा होने और परीक्षण सफल रहने के बाद यह घाट सेक्शन अब विद्युत ट्रैक्शन के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे ईंधन की खपत में कमी, उत्सर्जन में गिरावट और परिचालन दक्षता में वृद्धि होगी। यह क्षेत्र में वंदे भारत सहित आधुनिक, सुपरफास्ट विद्युत ट्रेनों की शुरुआत को भी समर्थन देगा।
इस महत्वपूर्ण घाट सेक्शन के विद्युतीकरण से देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु और बंदरगाह नगरी मैंगलुरु सहित अन्य तटीय वाणिज्यिक केंद्रों के बीच आर्थिक और व्यावसायिक संपर्क और अधिक सुदृढ़ होंगे। विद्युत ट्रेनों के संचालन से यात्रियों और व्यावसायिक आवागमन को सुगमता मिलेगी, जिससे व्यापार, सेवाओं और संबद्ध आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।

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