एग्रीस्टेक पंजीयन में तकनीकी गड़बड़ी से किसान आर्थिक संकट में

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों के लिए एग्रीस्टेक पंजीयन अनिवार्य किए जाने के बाद महासमुंद जिले में कई किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन रिकॉर्ड में रकबा कम या शून्य दिखने के कारण किसान समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पा रहे हैं, जिससे वे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। लाखों रुपये का केसीसी और सहकारी बैंक ऋण लेकर खेती करने वाले किसान अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
महासमुंद और पिथौरा क्षेत्र के दर्जनभर किसान कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्या प्रशासन को बताई। पिथौरा के किसान लोकनाथ बरिहा ने बताया कि उनके पास 4.5 एकड़ कृषि भूमि है, लेकिन ऑनलाइन रिकॉर्ड में रकबा शून्य दिख रहा है। बागबाहरा क्षेत्र के जुनवानीखुर्द गांव के किसानों का भी कहना है कि मंडी रिकॉर्ड में रकबा कम दिखाया जा रहा है, जिससे समय पर धान बेचने में परेशानी हो रही है। किसान पिछले 20-25 दिनों से तहसील और पटवारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने स्वीकार किया कि तकनीकी कारणों से कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि सही किसानों का पूरा धान खरीदा जाए। उन्होंने यह भी बताया कि वारिसन पंजीयन शुरू हो गई है, और यदि किसी किसान की मृत्यु से पहले उन्होंने अपना पंजीयन एग्रीस्टेक में कराया था, तो उनके परिवार धान बेच सकते हैं। कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि तकनीकी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा और किसान अपना धान समय पर बेच पाएंगे।







