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वन विभाग मनमाने तरीके से पेड़ों की कटाई कर रहा, पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जावे – मंड़ावी

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बीजापुर। जिले के पेद्दाकोड़ेपाल और कावड़गांव क्षेत्र में वन विभाग द्वारा की जा रही पेड़ों की कटाई को लेकर बीजापुर के कांग्रेस विधायक विक्रम मंड़ावी ने वन विभााग पर आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग मनमाने तरीके से पेड़ों की कटाई कर रहा है। इस कटाई में न सिर्फ बेकीमती सागौन के पेड़ शामिल हैं, बल्कि आदिवासियों के जीवन-यापन से जुड़े महुआ और तेंदू जैसे महत्वपूर्ण वृक्षों को भी अंधाधुंध काटा गया है। उन्हाेने कहा कि सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में विकास के नाम पर उनकी आजीविका और अधिकारों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी बातों को अनसुना किया और डीएफओ को नहीं हटाया गया, तो वे ग्रामीणों के साथ सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। विधायक ने यह भी कहा कि वन संरक्षण का अर्थ जंगल और वहां रहने वाले लोगों,दोनों की सुरक्षा है, न कि उनके संसाधनों का दोहन। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और जब तक जांच पूरी न हो, तब तक पेड़ कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए डीएफओ रंगनाधा रामकृष्ण को तत्काल हटाने और क्षेत्र में वन कटाई पर रोक लगाने की मांग की है।
डीएफओ आर. रामाकृष्ण ने कहा कि कूप कटाई का काम नियमों के तहत किया जा रहा है। उन्हाेने कहा कि सारे आरोप निराधार हैं, 32 साल पहले जिले में 40 कूप कटते थे, जिसमें 30 कूप काष्ठ और 10 कूप बांस के होते थे। वर्ष 1994 में नक्सलियों ने कूप कटाई पर रोक लगा दी थी। अब नक्सलवाद अंतिम चरण पर है, ऐसे में कूप कटाई फिर शुरू कर दी गई है। उन्हाेने बताया कि कूप कटाई केंद्र सरकार की मंजूरी और वैज्ञानिक वन प्रबंधन की प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है। आईडब्ल्यूसी में केवल चिन्हित पेड़ों को ही काटा जा रहा है, जिसमें गिरे हुए और आड़े-टेढ़े पेड़ शामिल हैं। काटे गए पेड़ों को डिपो में जमाकर इनकी नीलामी होगी, जिसकी 20 प्रतिशत राशि पंचायत के विकास पर खर्च होगी। पेसा कानून के तहत ग्रामसभा की सहमति से काम किया जा रहा है।

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