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सहकारिता से आत्मनिर्भरता की ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा

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लेखक – धनंजय राठौर संयुक्त संचालक व अशोक कुमार चंद्रवंशी सहायक जनसंपर्क अधिकारी
रायपुर। साल 2025 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया गया है।जिसका मुख्य उद्देश्य सहकारिताएँ एक बेहतर दुनिया का निर्माण करती हैं, और यह वर्ष गरीबी उन्मूलन, समावेशी विकास और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।
भारत सरकार ने सहकारिता आंदोलन को गांव-गांव तक पहुँचाने के लिए वर्ष 2021 में स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में देश के हर ग्राम पंचायत तक सहकारी समितियों का विस्तार किया जा रहा है, ताकि किसानों, पशुपालकों और ग्रामीणों को सहकारिता से लाभ मिल सके। सहकारिता के माध्यम से एक बेहतर और समृद्ध ग्रामीणों का निर्माण करना है।
छत्तीसगढ़ में सहकारिता का प्रसार, छत्तीसगढ में 6063 सहकारी समितियाँ कार्यरत
छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 11,650 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें 2,058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियाँ (पैक्स), 1,949 दुग्ध, 1,002 मत्स्य और 1,054 लघु वनोपज सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं।
760 नई समितियाँ गठित
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और सहकारिता मंत्री के निर्देश पर अब तक छत्तीसगढ़ में 310 मत्स्य, 297 दुग्ध और 153 लघु वनोपज समितियाँ नई गठित की जा चुकी हैं।
सहकारिता के माध्यम से रोजगार और सशक्तिकरण
राज्य गठन के समय केवल 1,333 सहकारी समितियाँ सक्रिय थीं, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 2573 हो गई है। किसानों को ऋण, बीज, खाद, कीटनाशक और विपणन की सुविधा सुगमता से उपलब्ध हो रही है। राज्य में 515 नई प्राथमिक कृषि साख समितियाँ भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों के कुल सदस्य अब 30.26 लाख हैं, जिनमें से 19.38 लाख किसान क्रेडिट कार्ड धारक हैं।
राज्य में सहकारी केंद्रीय बैंक की 345 शाखाएँ संचालित कृषि ऋण और वित्तीय सुदृढ़ता
राज्य में 6 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक हैं, जिनकी 345 शाखाएँ संचालित हो रही हैं। इनमें से 262 शाखाएँ कम्प्यूटरीकृत हैं। राज्य के 2058 पैक्स समितियों में प्रधानमंत्री किसान सेवा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
किसानों के लिए 5 लाख रुपए तक ब्याज मुक्त आसान कृषि ऋण की सुविधा
राज्य सरकार और नाबार्ड के सहयोग से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। सहकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को 5 लाख रुपए तक का कृषि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जा रहा है। पशुपालन, मत्स्य पालन और लघु उद्योगों के लिए भी 1′ से 3′ ब्याज दर पर ऋण सुविधा दी जा रही है। वर्ष 2025-26 में अब तक 15.56 लाख किसानों को 6,936 करोड़ रुपए का कृषि ऋण वितरित किया जा चुका है।
डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
राज्य में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण का कार्य वर्ष 2022-23 से आरंभ हुआ। अब तक 2,028 समितियाँ ई-पैक्स मोड में परिवर्तित की जा चुकी हैं। डिजिटलीकरण से किसानों के खाते, ऋण विवरण और ब्याज गणना पारदर्शी और रियल टाइम हो गए हैं।
धान खरीद और किसानों को लाभ
वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार द्वारा 25 लाख किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कुल 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। इसके लिए 34,349 करोड़ रुपए की राशि किसानों के बैंक खातों में सीधे जमा की गई। इसके अलावा, मुख्यमंत्री किसान उन्नति योजना के तहत 11,928.59 करोड़ रुपए की राशि किसानों के खातों में सीधे हस्तांतरित की गई। कुल 46276 करोड़ रुपए किसानों के खाते में अंतरित किया गया।
धान खरीदी (खरीफ विपणन) वर्ष 2025-26 के तहत दिनांक 12 दिसंबर 2025 तक 6.94 लाख किसानों से 35.43 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी समितियों के माध्यम से किया जा चुका है, जिसकी लगभग राशि 7201 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को खरीदी के 48 घंटे के अंदर भुगतान किया गया है। इस वर्ष एग्रीस्टेग से पंजीकृत किसान से धान खरीदी की जा रही है। एग्रीस्टेग पोर्टल के पंजीकृत किसानों को संख्या 26.86 लाख है।
एग्रीस्टेग पोर्टल के माध्यम से किसान आईडी के ज़रिए भूमि, फसल, बैंक, बीमा और योजनाओं से जुड़ी सभी जानकारी एक जगह होती है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे, बिचौलियों को हटाया जा सके और डेटा-आधारित नीतियां बनाई जा सकें।

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