मछली पालन से समृद्ध की राह पर फुलबती मरकाम

कोंडागांव। जिस परिवार की आर्थिक स्थिति कभी इतनी कमजोर थी कि बच्चों की पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं हो पा रही थी, वे आज अपनी मेहनत, सरकारी योजनाओं के सहयोग से तरक्की की नई कहानी लिख रही है। कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत चुरेगांव की सरपंच एवं बिहान स्व-सहायता समूह की सचिव श्रीमती फुलबती मरकाम आज महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की एक सशक्त पहचान बन चुकी हैं।
फुलबती मरकाम वर्ष 2011 में स्व-सहायता समूह से जुड़ीं। साधारण जीवन जी रही फुलबती जब वर्ष 2018 में समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से जुड़ी, तब उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। फुलबती बताती हैं कि बिहान से जुडऩे के बाद ही उन्हें ऋण, प्रशिक्षण और आजीविका के विभिन्न अवसरों की जानकारी मिली। इससे पहले उनके लिए व्यवसाय और स्वरोजगार केवल सुनी-सुनाई बातें थीं।
बिहान से जुडऩे के बाद फुलबती ने सबसे पहले 5 हजार रुपये का व्यक्तिगत ऋण लिया। इस राशि में से 2 हजार रुपये का उपयोग उन्होंने मछली बीज खरीदने में किया, जबकि शेष 3 हजार रुपये घरेलू आवश्यकताओं में खर्च किए। यह छोटा-सा निवेश उनके जीवन का सकारात्मक बदलाव साबित हुआ। मछली पालन से उन्हें करीब 20 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई, जिससे उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया। इसके बाद फुलबती ने 10 हजार रुपये का ऋण लिया और फिर धीरे-धीरे 1 लाख रुपये तक का ऋण लेकर अपने व्यवसाय को विस्तार देना शुरू किया। निरंतर मेहनत और सही मार्गदर्शन के चलते उनकी आय बढ़ती गई। एक समय ऐसा भी आया जब उनकी कुल आमदनी एक लाख रुपये से आगे निकल गई और बाद में डेढ़ लाख रुपये तक पहुंचने लगी। आज वे मछली पालन से सालाना 1 लाख 50 हजार रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं।
फुलबती बताती हैं कि बिहान से जुडऩे से पहले उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने का सपना तो था, लेकिन वह केवल सपना ही लगता था। घर की जिम्मेदारियां, सीमित आय और संसाधनों की कमी के कारण वे अपने बड़े बेटे की पढ़ाई तक रोकने के बारे में सोचने लगी थीं, ताकि वह घर के काम में मदद कर सके। लेकिन जब व्यवसाय से आय आने लगी, तो हालात पूरी तरह बदल गए।
बिहान के अधिकारियों ने उनके घर में पहले से मौजूद तालाब को देखा और मछली पालन करने का सुझाव दिया। इस सुझाव को गंभीरता से लेते हुए फुलबती ने नारायणपुर जाकर 10 दिनों का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। इस प्रशिक्षण के दौरान उन्हें मछली पालन की आधुनिक तकनीकों, उपयुक्त मछली प्रजातियों के चयन, तालाब प्रबंधन और बाजार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। प्रशिक्षण का यह अनुभव उनके लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ।
आज फुलबती के दोनों बेटे घर से दूर रह कर पढ़ाई कर रहे हैं। उनका बड़ा बेटा रायपुर में बी.एड. की पढ़ाई कर रहा है और साथ ही कोचिंग भी ले रहा है। फुलबती गर्व से कहती हैं कि अब वे अपने बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार पढ़ाई करा पा रही हैं, जो कभी उनके लिए असंभव सा लगता था। इसके साथ ही उन्होंने अपने घर को भी बेहतर बना लिया है।
मछली पालन के अलावा फुलबती मुर्गी पालन का कार्य भी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन से भी उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, जिससे उनकी आय के स्रोत और मजबूत हुए हैं। विविध आजीविका गतिविधियों ने उनके परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित बना दिया है।
फुलबती का मानना है कि पहले गांवों में महिलाओं के पास खुद का पैसा नहीं होता था। लेकिन आज हालात बदल रहे हैं। महिलाएं स्वयं कमाना सीख रही हैं, अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और परिवार के फैसलों में बराबरी की भूमिका निभा रही हैं। अब महिलाएं केवल गृहिणी नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से सक्षम उद्यमी भी बन रही हैं।
आज फुलबती मरकाम न केवल बिहान समूह की सचिव हैं, बल्कि ग्राम पंचायत चुरेगांव की निर्वाचित सरपंच भी हैं। एक साधारण ग्रामीण महिला से सरपंच बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है। वे गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार अपनाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
फुलबती कहती हैं कि महिलाओं को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। छोटे-छोटे व्यवसाय घर से ही शुरू किए जा सकते हैं। सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और आत्मविश्वास के साथ हर महिला अपनी जिंदगी बदल सकती है। उनकी इस सफलता में शासन की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का भी महत्वपूर्ण भूमिका है, जो न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही है, बल्कि पूरे समाज को सशक्त बना रही है।







