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नक्सली माड़वी हिड़मा व पत्नी राजे का पूवर्ती में एक ही चिता में कर दिया गया अंतिम संस्कार

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सुकमा । छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सीमा पर तीन दिन पहले हुए मुठभेड़ में मारे गए मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का परिवार की मांग पर हिड़मा के गृहग्राम पूवर्ती में आज गुरूवार काे दाेनाें का एक ही चिता में अंतिम संस्कार कर दिया गया । अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पूवर्ती, जबगट्टा, बटुम, टेकलगुडेम और मीनट्टा गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे थे, हिड़मा बस्तर में नक्सली संगठन का अंतिम कड़ी था, जिसके अंतिम संस्कार के साथ ही बस्तर से नक्सली आतंक का सफाया हाे गया है।
हिड़मा ने 35 वर्षों में 300 से अधिक लोगों की हत्या की थी, जिनमें अधिकांश जवान शामिल थे। वह 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड था, और उसने राहत शिविर में 31 लोगों को जिंदा जलाकर मारने की वारदात को भी अंजाम दिया था। सैकड़ों निर्दोष ग्रामीण और सुरक्षाबल के जवानों की हत्या करने वाला खूंखार नक्सली हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का शव आज गुरूवार काे रम्पा सोड़ावरम से अलसुबह गृहग्राम पूर्वर्ती में लाया गया, जहां पुलिस की कड़ी निगरानी में दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। गांव में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र अतिरिक्त बल भी तैनात रहा।
उल्लेखनिय है कि हिड़मा पर डेढ़ करोड़ से अधिक का इनाम था और उसकी पत्नी 50 लाख की इनामी नक्सली थी । करेंगुट्टा ऑपरेशन के बाद फोर्स के बढ़ते दबाव के चलते पत्नी राजे सरेंडर करना चाहती थी। उसे डर था कहीं दोनों मारे न जाएं। बार-बार हिड़मा से हथियार डालने कहती रही। लेकिन हिड़मा नहीं माना और आखिर में दोनों एक साथ मुठभेड़ में मारे गए। नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे के मारे जाने के बाद नक्सल संगठन में हिड़मा और राजे की प्रेम कहानी का किस्सा मिलने लगा है। हिड़मा की सुरक्षा गार्ड रही एरिया कमेटी मेंबर (ACM) नक्सली सुंदरी ने 2014 में आत्मसमर्पण किया था। उन्होंने कहा कि हमने लंबा समय हिड़मा और उसकी पत्नी के साथ गुजारा है। संगठन में उनकी शादी, लव स्टोरी की चर्चा रहती थी। आत्मसमर्पित नक्सली सुंदरी के अनुसार साथी महिला नक्सली राजे ने पहले हिड़मा के विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। फिर भी 2 साल तक हिड़मा ने हार नहीं मानी, बाद में राजे ने हामी भरी। नक्सल नियमों के सख्त हिड़मा ने स्वयं की नसबंदी करवाई और संगठन में ही शादी कर ली। तब हिड़मा की उम्र महज 25 से 27 साल थी, जबकि राजे 20 से 22 साल की थी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नक्सली बाराती बने। हिड़मा जब बहू को लेकर अपने घर सुकमा जिले के पूवर्ती आया था तब बहू लाल जोड़े में नहीं बल्कि काली वर्दी में थी। दोनों के हाथों में हथियार थे। मां को बिना बताए शादी करने पर उसकी मां ने हिड़मा को जमकर फटकार लगाई थी। हालांकि शादी से नाराज मां बाद में राजी हो गई थी।
आत्मसमर्पित नक्सली सुंदरी के अनुसार हिड़मा की पत्नी राजे उर्फ राजक्का गोलापल्ली थाना क्षेत्र के वीरापुरम गांव की रहने वाली थी। करीब 1994-95 में नक्सल संगठन में बाल संघम में शामिल हुई। 1991 में हिड़मा भी बाल संघम में भर्ती हुआ था। सन 2002-03 में राजे को जगरगुंडा एरिया कमेटी की जिम्मेदारी दी गई थी।राजे भी हिड़मा की तरह फुर्तीली और तेज दिमाग की थी। साल 2006-07 में किस्टाराम एरिया कमेटी का प्रभार मिला था। जिसके बाद साल 2009 में बटालियन मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल की शिक्षिका बनी थी। तब तक शादी के बाद हिड़मा और राजे अलग-अलग रहते थे। पार्टी मीटिंग हो या फिर अन्य किसी काम से जाना हो तो वे मिलते थे। लेकिन साल 2009 में जब हिड़मा को पहले पीएलजरए बटालियन का उप कमांडर और फिर सैन्य बटालियन प्रभारी बनाया गया तो दोनों साथ रहने लगे। राजे भी इसी बटालियन में टीचर थी।

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