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नहीं बिक पा रहा है धान, सरकारी दावे के चौथे दिन भी उपार्जन केंद्रों से मायूस होकर लौटे किसान

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रायपुर। समर्थन मूल्य में धान के उपार्जन में सरकार की लापरवाही और बदइंतजामी पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि सरकार के कागजी दावों में तो 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो गई है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकांश उपार्जन केन्द्रो में किसान धान लेकर पहुंचे तो रहे हैं, पर उनका धान नहीं खरीदा जा रहा है और उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। सहकारी समितियां के कर्मचारी पिछले 18 दिनों से हड़ताल पर हैं, लेकिन यह सरकार उनकी जायज मांगों को मनाने के बजाय दूसरे विभागों के अनुभवहीन कर्मचारियों को धान खरीदी का प्रभार सौंपने के आधारहीन दावे कर रही है। खाद्य, कृषि और राजस्व विभाग के कर्मियों की जुगाड़ वाली अव्यवस्था के चलते पूरा सिस्टम बदहाल हो गया है, बदइंतजामी और लेटलतीफी से प्रदेश के किसान हलाकान है।
बैज ने कहा है कि सरकार की वादाखिलाफी के चलते ही धान खरीदी अभियान बाधित हो रहा है। टोकन ऐप में भारी खामी है, कंप्यूटर सिस्टम और ऑनलाइन एंट्री में तकनीकी दिक्कतें आ रही है, जिसका सीधा असर धान खरीदी केंद्रों में अपनी उपज बेचने के लिए आ रहे किसानों पर पड़ रहा है, घंटों इंतजार के बाद भी समाधान नहीं होने के कारण किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। बारदानों की समस्या से भी किसानों को जूझना पड़ रहा है, अधिकांश उपार्जन केदो में धान की तौलाई बंद है, परिवहन और मिलिंग को लेकर भी यह सरकार अब तक कोई ठोस व्यवस्था बना पाने में नाकाम रही है, सरकार के सुशासन और धान खरीदी तिहार के फर्जी दावों के बीच किसान धान खरीदी को लेकर चिंतित हैं।
यह सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए समिति कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर एफआईआर दर्ज कर रही हैं, उनको जेल भेजने का डर दिखाया जा रहा है, उनके खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही की जा रही है, उनकी नौकरियां छीनी जा रही, यह सरकार बर्बरता पर उतर आई है। समितियां में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के दौरान 12 महीनो का वेतन मिलता था जिसे घटकर अब मात्र 6 महीना कर दिया गया है, सरकार की अव्यवहारिक निर्णय से कंप्यूटर ऑपरेटरों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है, कम वेतन में काम करने वाले कर्मचारी बाकी के 6 महीने अपना परिवार कैसे पालेंगे?
बैज ने कहा है कि सरकारी पोर्टल में खामी के चलते ही लगभग 7 लाख किसान अब तक पंजीयन से वंचित हैं, पिछले साल की तुलना में लगभग 7 लाख हेक्टेयर रकबा घटा दिया गया है, धान खरीदी प्रक्रिया में व्यापक और जटिल बदलाव से कंप्यूटर ऑपरेटर भी परेशान हो रहे हैं। सरकार के रवैया से लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की नियत नहीं है कि छत्तीसगढ़ के किसानों का पूरा धान खरीद किया जाए, सत्ता के इशारे पर धान खरीदी को बाधित करने के षडयंत्र से प्रदेश के अन्नदाता व्यथित हैं।

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