आंगनबाड़ी सहायिका के धर्म परिवर्तन के बाद ग्रामीणों ने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना किया बंद

कांकेर । छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में धर्मांतरण का मुद्दा अब मासूम बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा तक पहुंच गया है। नरहरपुर ब्लॉक के गांव भैंसमुंडी में एक आंगनबाड़ी सहायिका के धर्म परिवर्तन के बाद ग्रामीणों ने अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना बंद कर दिया है, जिससे पिछले 15 दिनों से आंगनबाड़ी में ताला लटका हुआ है। दरअसल, आंगनबाड़ी सहायिका केसर नरेटी ने कुछ समय पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। हाल ही में धर्मांतरण के मामलों के बढ़ने के बाद ग्रामीणों ने सहायिका से अपने मूल धर्म में वापस आने की मांग की, जिसे सहायिका ने ठुकरा दिया।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव के 6 परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाया था। जिनमें से 3 परिवार वापस आ गए हैं, लेकिन 3 परिवार अभी भी वापस नहीं आए हैं। इस मुद्दे पर गांव में एक बैठक हुई, जिसमें आंगनबाड़ी सहायिका को भी मूल धर्म में वापस आने के लिए कहा गया। लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया, जिसके बाद ग्रामीणों ने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना बंद कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सहायिका अपने मूल धर्म में वापस नहीं आती, वे अपने बच्चों को आंगनबाड़ी नहीं भेजेंगे। उनका कहना है कि अगर सहायिका को ईसाई धर्म में ही रहना है, तो उसे आंगनबाड़ी में काम छोड़ना होगा।
वहीं, धर्मांतरित आंगनबाड़ी सहायिका केसर नरेटी का कहना है कि वह किसी भी हाल में ईसाई धर्म नहीं छोड़ेंगी और न ही वह नौकरी छोड़ेंगी। उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह आंगनबाड़ी आती हैं, लेकिन गांव के लोग अपने बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। महिला-बाल विकास की परियोजना अधिकारी सत्या गुप्ता ने कहा कि उन्हें मामले की सूचना मिली है और उन्होंने पर्यवेक्षक को जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।







