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बस्तर में नवंबर के महीने में आसमान साफ रहा तो पारा 10 डिग्री के नीचे जाने की संभावना

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जगदलपुर। बस्तर में नवंबर की शुरुआत के साथ ही प्रचंड ठंड पडने लगी है। आमतौर पर बस्तर में नवंबर के महिने में ठंड का मिजाज इतना सख्त नहीं होता जितना इस बार नजर आ रहा है। सुबह और रात के वक्त घर से बाहर निकलने पर लोगों में सिहरन पैदा हो रही है। नवंबर में दिसंबर जैसी ठंड इस बार पड़ रही है। दिन में भी हल्की ठंड का एहसास बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि मौसम का यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा और इस बार नवंबर के महीने में आसमान साफ रहा तो पारा 10 डिग्री के नीचे भी जा सकता है । ऐसा होता है, तो इस वर्ष नवंबर में सर्वाधिक ठंड का रेकॉर्ड बन सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों ने सीजन की शुरुआत से पहले ही बताया था कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी और ऐसा हो भी रहा है। ला नीना प्रभाव के कारण अधिक ठंड पड़ रही है क्योंकि यह प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान को ठंडा करता है, और भारत की ओर आने वाली ठंडी हवाओं के प्रवाह को बढ़ाता है। इसके प्रभाव से पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हो जाता है और भारत में बारिश व बर्फबारी होती है। यह घटना जेट स्ट्रीम को भी प्रभावित करती है, जिससे साइबेरिया और मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाएं सीधे उत्तर भारत में पहुंच जाती हैं। ला नीना के दौरान जेट स्ट्रीम यानी ऊंचाई पर चलने वाली तेज हवाएं दक्षिण की ओर खिसक जाती हैं, जिससे उत्तरी एशिया की ठंडी हवाएं आसानी से मैदानी इलाकों में प्रवेश कर पाती हैं। ला नीना के दौरान अधिक बारिश के कारण मानसून के बाद आसमान साफ हो जाता है। इससे रात को धरती की गर्मी आसानी से अंतरिक्ष में निकल जाती है, जिसे रेडिएशन कूलिंग कहते हैं, जिससे रातें और ठंडी होती हैं।

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