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यौन और हत्या के आरोपी को पाक्सो एक्ट में बरी करनेपर हाई कोर्ट गंभीर

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने यौन और हत्या के अपराध में आरोपी को पाक्सो एक्ट में बरी करने एवं शासन की ओर से अपील नहीं किए जाने के मामले में गंभीर टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने टिप्पणी में कहा है कि इस बैकग्राउंड में हम यह नोट करने के लिए मजबूर हैं कि ट्रायल कोर्ट ने भारी मेडिकल और परिस्थिति जन्य सबूतों के बावजूद अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 363, 364, 376(3) के साथ-साथ पाक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 के तहत गंभीर आरोपों से बरी करके गलती की है।
गौरतलब है कि जांजगीर चाम्पा जिला के जैजैपुर थाना क्षेत्र निवासी 12 वर्ष 7 माह उम्र की नौवीं कक्षा की छात्रा 28 फरवरी 2022 की रात को अपनी मां के साथ सोई थी। मां की रात को नींद खुली तो देखा कि उसकी बेटी बिस्तर में नहीं है। पिता ने 1 मार्च 2022 को जैजैपुर थाना में रिपोर्ट लिखाई कि उसकी नाबालिग बेटी जो कि कक्षा 9 वीं में पढ़ती है उसका अपहरण अज्ञात व्यक्ति ने कर लिया है। पिता ने बंधक बनाकर रखने का संदेह व्यक्त किया। 3 मार्च 2022 को उसकी लाश गांव के तालाब में मिली। इस मामले में पुलिस ने आरोपी जवाहर को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया। सक्ती न्यायालय ने आरोपी को आईपीसी की धारा 302 और 201 के अंतर्गत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया और आजीवन कारावास और 5000/- रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए उसे नाबालिग से बर्बर तरीके से यौन अपराध कर हत्या के मामले में पाक्सो एक्ट के तहत सजा नहीं सुनने पर उक्त टिप्पणी की है।

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