फसल नुकसान पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने

जिले में अतिवृष्टि और प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई किसानों की फसलों का मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले चुका है। विपक्षी कांग्रेस ने इसे हथियार बनाकर सरकार को घेरना शुरू किया है, जबकि सत्ताधारी भाजपा इसे कांग्रेस की नाकामी बताकर पलटवार कर रही है। गुरुवार को कलेक्ट्रेट स्थित विथिका भवन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के नेतृत्व में सैकड़ों किसान धरने पर बैठ गए।
धरने की शुरुआत तीखी नोकझोंक के साथ हुई। किसान तहसीलदार को ज्ञापन सौंपने पहुंचे, लेकिन तहसीलदार के इनकार करने पर विवाद हो गया। कमलेश्वर पटेल ने SDM और कलेक्टर के अनुपस्थित रहने पर नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि अगर धरना जारी रहा तो पूरे जिले में आंदोलन उग्र हो जाएगा। अंततः ADM को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें फसल नुकसान का सर्वे कर तुरंत मुआवजा देने की मांग की गई।
धरना स्थल पर कमलेश्वर पटेल ने सरकार और जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “जिले भर में किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, लेकिन मुआवजा या सर्वे तक शुरू नहीं हुआ। पटवारी गांवों में नहीं पहुंचे और कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। एक सप्ताह में ठोस कार्रवाई न हुई तो कांग्रेस उग्र आंदोलन करेगी।”
वहीं, सीधी-सिंगरौली के सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कांग्रेस पर पलटवार किया और कहा कि “कांग्रेस की 18 महीने की सरकार एक्सीडेंटल थी। हमारी सरकार किसानों के साथ खड़ी है और नुकसान का पूरा मुआवजा दिया जाएगा।” सिंगरौली संभाग के विभिन्न जिलों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से धान, उड़द, मूंगफली सहित कई फसलें चौपट हो गई हैं। किसान राहत की आस में हैं, लेकिन सर्वे और मुआवजे में देरी से गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी है, जबकि भाजपा इसे पुरानी सरकार की नाकामी बता रही है।







