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पक्की सड़कों ने बदली बलरामपुर के ग्रामीण जीवन की तस्वीर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर उत्तर में बसे बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की पहचान अब केवल हरियाली, जंगलों, पहाड़ी घाटियों और समृद्ध जनजातीय संस्कृति से नहीं, बल्कि विकास की रफ्तार से दौड़ते गांवों से भी होती है। इस परिवर्तन की कहानी लिखी है प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) ने, जिसने हर गांव को पक्की सड़क से जोड़कर विकास के रास्ते खोले हैं।

पक्की सड़कों ने बदली बलरामपुर के ग्रामीण जीवन की तस्वीर
कभी थे कीचड़ और दुर्गम रास्ते, अब पक्की सड़कों से रफ्तार
जब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत बलरामपुर क्षेत्र में हुई, तब कई गांव ऐसे थे जहां बरसात के दिनों में पहुंचना भी मुश्किल होता था। खेत की उपज बाजार तक नहीं पहुंच पाती थी, मरीजों को अस्पताल तक ले जाना चुनौती था और बच्चों के लिए स्कूल जाना सपना जैसा था, लेकिन वर्ष 2012 में जिला बनने के बाद इस योजना ने नई गति पकड़ी। वर्तमान में जिले के 06 विकासखण्ड बलरामपुर, रामचंद्रपुर, वाड्रफनगर, राजपुर, कुसमी और शंकरगढ़ में 1647.72 किलोमीटर की 330 सड़कों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जो अब गांवों को न सिर्फ शहरों से जोड़ती है बल्कि जीवन से जोड़ती है।
गांवों में आया बदलाव और खुशहाली की नई राह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करती हुई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़कों के जाल बिछ जाने से किसान अब अपनी उपज को समय पर बाजार तक पहुंचा पा रहे हैं। स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है और शाला त्यागी बच्चों की दर बहुत तेजी से कम हो गयी है। अब हर गांव तक स्वास्थ्य सुविधाएं भी पहुंच रही हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हुई हैं। सडकों के बनने से महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। युवाओं के लिए रोजगार और व्यापार के नए अवसर अब उपलब्ध हो रहे हैं। इन सड़कों ने न सिर्फ मिट्टी और धूल भरे रास्तों को बदला है, बल्कि गांवों के सपनों को भी दिशा दी है।

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