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छत्तीसगढ़ वासियों तुम विश्व के किसी स्थान पर निवास करते रहो दूधाधारी मठ को मत भूलना – सियाराम शरण दास

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रायपुर। छत्तीसगढ़ वासियों तुम विश्व के किसी स्थान पर निवास करते रहो लेकिन रायपुर के इस दूधाधारी मठ को कभी मत भूलना। यह त्यागियो, तपस्वियोंकी भूमि है। तुमको वास्तविक शांति यहीं मिलेगी यह बातें अवधपुरी धाम उत्तर प्रदेश से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी सियाराम शरण दास जी महाराज ने व्यास पीठ की आसंदी से श्री दूधाधारी मठ महोत्सव, सत्संग भवन रायपुर में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा में अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहाकि- राम जन्मभूमि कार सेवकों का मैं डायरेक्ट था। मेरे निर्देशन में ही वह ढांचा ध्वस्त हुआ था। व्यक्ति के जीवन में कितने भी विपत्ति क्यों न आ जाए धैर्य धारण करने से वह विपत्ति टल ही जाती है। वैद्य के वचनों पर विश्वास करने से रोग दूर हो जाता है और सद्गुरु के वचनों पर विश्वास करने से भव रोग समाप्त हो जाते हैं। मूर्ख व्यक्ति मूर्ख को ही गुरु बना लेता है अंधा व्यक्ति अंधा को ही गुरु बना लेता है। जिसे परमब्रह्म का भी ज्ञान हो और शब्दब्रह्म का भी ज्ञान हो उसे ही गुरु बनाना चाहिए। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ हैं। यह चारों पुरुषार्थ ही राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के रूप में अवतार धारण किए जब भक्तों के आंखों में भगवान के लिए आंसू होता है तो भगवान के आंखों में भक्त के लिए करुणा होती है। भगवान के सामने जिस रूप में हो उसी रूप में चले जाओ सूर्पनखा श्रृंगार करके सुंदरी बनकर आई और नाक- कान कटा कर कूरूपा हो गई। मंथरा कुरूपा कुबरी बनकर आई थी सुंदरी बन गई। आंख प्राप्त करके भी यदि हम राम जी का दर्शन नहीं कर सके तो आंख प्राप्त करना व्यर्थ है उन्होंने कहा कि कुछ लोग रोज सुबह घूमने जाते हैं, मॉर्निंग वॉक करते हैं। रेलवे स्टेशन, पार्क या एयरपोर्ट में घूमते हैं। कुछ लोग तो कुत्ते को लेकर संध्या वंदन कर आते हैं। अरे मूर्खों घूमना ही है तो सुबह दूधाधारी मठ के विशाल परिसर में घूम आओ भगवान का दर्शन भी हो जाएगा और 84 लाख योनियों के चक्कर से भी बच जाओगे। श्री रामचरितमानस में लिखा है कि – राम सदा सेवक रूचि राखि। बेद पुराण साधु सुर साखी।। थोड़ा मुस्कुराओगे तो तस्वीर अच्छी बनेगी और सदा मुस्कुराओगे तो तकदीर अच्छी बनेगी। हमेश की तरह कथा श्रवण करने के लिए महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज मंच पर विराजित थे।

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