25 साल में जिले बढ़े 16 से 33, प्रशासनिक विकेंद्रीकरण में सफलता

रायपुर। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर बने नवोदित छत्तीसगढ़ राज्य में शुरुआत में 16 जिले थे, जो अब 25 वर्षों में दोगुने से अधिक बढ़कर 33 जिले हो चुके हैं। पहले बड़े जिलों के कारण दूरदराज़ क्षेत्रों के लोगों के लिए जिला मुख्यालय तक पहुंचना कठिन कार्य था और सरकारी कामकाज में लंबा समय लगता था। प्रशासनिक विकेंद्रीकरण और शासन को आम जनता के नजदीक लाने की कोशिशों के तहत जिलों को विभाजित किया गया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी और प्रशासन तक आम लोगों की पहुंच आसान हुई।
11 मई 2007 को दंतेवाड़ा जिले को विभाजित कर बीजापुर और नारायणपुर जिले बनाए गए। इसके बाद 11 जनवरी 2012 को सुकमा, कोंडागांव, बालोद, बेमेतरा, बलौदा बाजार, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर जिले अस्तित्व में आए। वर्ष 2020 में गौरेला-पेंड़ा-मरवाही जिला और 2021 में मनेंद्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी, मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी, सक्ती और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिलों की घोषणा हुई। 17 अप्रैल 2022 को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला बनाया गया।
राज्य गठन के समय रायपुर जिला सबसे बड़ा माना जाता था, लेकिन अब रायपुर से विभाजित होकर महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बलौदा बाजार-भाटापारा और नया रायपुर जिले अस्तित्व में आए। इस प्रक्रिया से प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ी और आम जनता के लिए सेवाओं तक पहुंच आसान हुई।







