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बरसात के दिनों में होता है पूरे सबाब पर रानीदाह जलप्रपात

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रायपुर। जशपुर जिले के घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच रानीदाह जलप्रपात राज्य के सबसे खूबसूरत और रहस्यमयी प्राकृतिक स्थलों में से एक है। जशपुर जिला मुख्यालय से 15 से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात अपने मनमोहक सौंदर्य और ऐतिहासिक किंवदंतियों के कारण विशेष पहचान रखता है। मानसून के दौरान जब जलप्रपात की धाराएं प्रचंड वेग से चट्टानों पर गिरती हैं और आसपास की हरियाली जीवन से भर उठती है, तब इसका दृश्य अद्भुत हो जाता है। झरने की गूंज, ठंडी हवा, और स्वच्छ जल की बूंदें हर आगंतुक को प्रकृति के सानिध्य का अनूठा अनुभव कराती हैं।
रानीदाह जलप्रपात से जुड़ी एक रोचक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि उड़ीसा की रानी शिरोमणि अपने प्रेमी के साथ भागकर जशपुर आई थीं और अपने भाईयों से बचने के लिए इसी झरने के समीप आत्मसमर्पण किया था। तभी से इस जलप्रपात का नाम ‘रानीदाह’ पड़ा। आज भी यहाँ रानी की समाधि और पंचमैया नामक स्थल मौजूद हैं, जो उनके पाँच भाईयों की स्मृति से जुड़े हैं। झरने के निकट एक प्राचीन शिव मंदिर भी स्थित है, जो इस स्थान के धार्मिक महत्व को और बढ़ा देता है।
पर्यटन की दृष्टि से रानीदाह जलप्रपात जून से फरवरी के बीच सर्वाधिक आकर्षक रहता है। जशपुर से आरा मार्ग पर 18 किलोमीटर की दूरी पर और मुख्य सड़क से 5 किलोमीटर अंदर स्थित यह स्थल सड़क, रेल और वायु मार्ग—तीनों से आसानी से पहुँचा जा सकता है। रांची और रायपुर हवाई अड्डे से यहाँ पहुँचना सुविधाजनक है, निकटतम रेलवे स्टेशन रांची और अंबिकापुर हैं।

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