कांग्रेस के संगठन सृजन में भी सिर फुटौव्वल और अंतर्कलह हावी: ठोकने

रायपुर। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नलिनीश ठोकने ने कहा कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के चयन के लिए गुरुवार को नईदिल्ली में हुई बैठक के बाद भी प्रदेश में संगठन सृजन की कवायद में जुटे कांग्रेस नेतृत्व का किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाना यह बताता है कि कांग्रेस में नेताओं की कुलजमा सियासी हैसियत एक परिवार की परिक्रमा और चरण-वंदना से तय हो रही है। प्रदेश प्रवक्ता ठोकने ने कटाक्ष किया कि इस बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने “किसके नाम पर मुहर लगेगी, यह कह पाना मुश्किल है” कहकर अपनी और प्रदेश कांग्रेस की बेचारगी को रेखांकित किया है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी इतनी बढ़ गई है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज अपनी उधार की कार्यकारिणी चला रहे हैं। बैज ने अपने कार्यकाल के दो साल से ज्यादा समय निकाल दिया है लेकिन आज तक गुटबाजी के चलते अपनी कार्यकारिणी घोषित तक नहीं कर पाए हैं और यही वजह है कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है और जिला अध्यक्षों की घोषणा के लिए तारीख पे तारीख दी जा रही है। प्रदेश प्रवक्ता श्री ठोकने ने कहा कि आज हालत यह है कि किसी एक का नेतृत्व कांग्रेस को स्वीकार नहीं है। कांग्रेस में संवाद कम, और विवाद ज्यादा होने के चलते कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बिखर चुकी है और प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी अपनी पार्टी को जोड़ने में नाकाम रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 36 टुकड़ों में बँटी नजर आ रही कांग्रेस के नेतृत्व को 17 ऑब्जर्वर नियुक्त करने पड़े।
उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस के संगठन सृजन में भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की फूट दिखाई दे रही है। अभी हाल ही संगठन सृजन की प्रक्रिया से नाराज एक नेता के कांग्रेस से अलग होने की खबर लोगों की जुबाँ पर ही थी कि इधर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सूची घोषित होने से पहले ही अंदरूनी घमासान और नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। पार्टी के भीतर चल रही हलचल अब सोशल मीडिया के जरिए बाहर दिखने लगी है। रायपुर जिले से जिलाध्यक्ष पद के दावेदार एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर अपना दर्द बयाँ करते हुए ‘धोखा’, ‘गद्दार’ और ‘पीठ में छुरा’ जैसे शब्दों तक का प्रयोग किया है। श्री ठोकने ने कहा कि ऐसी सिर फुटौव्वल और अंतर्कलह कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई। जिसके चलते यहाँ जिला अध्यक्ष बनाने के लिए फैसले दिल्ली में लिए जा रहे हैं।






