प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के मित्र रहें है महंत राम गोपाल दास : सौरव निर्वाणी

धर्म स्तंभ काउंसिल के सभापति डॉ. सौरव निर्वाणी एवं महंत सुरेन्द्र दास जी महाराज ने आज देवरघटा आश्रम पहुँचकर छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक वयोवृद्ध एवं पूज्यनीय संत, महंत श्री श्री 108 श्री रामगोपाल दास जी महाराज से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। 117 वर्ष की दुर्लभ आयु में भी सक्रिय पूज्य महाराज का यह दीर्घायु जीवन उनकी सनातन आस्था, अनुशासन और भक्ति का जीवंत परिणाम है।
पूज्य रामगोपाल दास जी महाराज का जीवन छत्तीसगढ़ की वैष्णव परंपरा और संत संस्कृति का जीवित इतिहास माना जाता है। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी के मित्र और आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी रहे हैं। ऐतिहासिक उल्लेख है कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने दूधाधारी वैष्णव मठ, रायपुर में पधारकर पूज्य रामगोपाल दास जी से साक्षात् भेंट की थी।
इस पावन अवसर पर डॉ. सौरव निर्वाणी ने कहा, “पूज्य महंत रामगोपाल दास जी महाराज छत्तीसगढ़ की संत परंपरा के जीवंत प्रतीक हैं। उनका जीवन संतत्व, सादगी और सेवा का आदर्श उदाहरण है। धर्म स्तंभ काउंसिल स्वयं को अत्यधिक सौभाग्यशाली मानती है कि हमें उनके दर्शन और आशीर्वाद का अवसर मिला।”
डॉ. निर्वाणी ने इस भेंट के दौरान आगामी “चौंसठ महंत उत्सव” में पूज्य महाराज श्री को सादर आमंत्रित भी किया। उन्होंने कहा कि यह उत्सव छत्तीसगढ़ के मठ-मंदिरों और संत परंपरा की एकता, गरिमा और स्वाभिमान का प्रतीक होगा।
महंत सुरेन्द्र दास जी महाराज ने इस आध्यात्मिक मुलाकात पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “देवरघटा आश्रम के पूज्य महाराज छत्तीसगढ़ की साधु परंपरा के वटवृक्ष हैं। उनका सान्निध्य और मार्गदर्शन हम सबके लिए आध्यात्मिक प्रेरणा और दिशा का स्रोत है।”
इस अवसर पर धर्म स्तंभ काउंसिल के अन्य प्रतिनिधियों के साथ-साथ वैष्णव परंपरा से जुड़े अनेक साधु-संत भी उपस्थित रहे।
