दमउदहरा जहाँ भगवान राम वनवास काल में विश्राम और पूजा अर्चना की

रायपुर। सक्ती-कोरबा मार्ग पर, सक्ती से 20 किलोमीटर दूर स्थित दमउदहरा न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का अनुपम स्थल है, बल्कि यह धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ तक सड़क मार्ग से निजी वाहन या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन सक्ति और निकटतम हवाई अड्डा रायपुर है।
दमउदहरा का प्रमुख आकर्षण इसका सुंदर जलप्रपात है, जो ऊँची पहाड़ियों से झरझर गिरते हुए नीचे बहता है। बरसात के मौसम में यह झरना अपने पूरे सौंदर्य पर होता है। चारों ओर फैली हरियाली, झरने की गूंजती ध्वनि और शीतल वातावरण पर्यटकों को मोह लेता है। आसपास के घने जंगल, प्राकृतिक गुफाएँ और ऊँची पहाड़ियाँ इस स्थल को रोमांच और फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान बना देती हैं।
धार्मिक दृष्टि से दमउदहरा में राम-जानकी मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, ऋषभदेव जैन तीर्थंकर का मंदिर, हनुमान मंदिर, भगवान शिव-पार्वती मंदिर और विष्णु-लक्ष्मी मंदिर जैसे कई पवित्र स्थल स्थित हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास काल में दमउदहरा (गूंजी क्षेत्र) पधारे थे। कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ विश्राम और पूजा-अर्चना की थी, जिससे यह क्षेत्र ऋषभ तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इतिहासकार लोचन प्रसाद पांडेय द्वारा खोजे गए ‘गूंजी शिलालेख’ का उल्लेख भी इस स्थल के महत्व को और बढ़ाता है। इस शिलालेख में उस समय की धार्मिक गतिविधियों, सामाजिक संरचना और स्थानीय शासन व्यवस्था का विवरण मिलता है, जो दमउदहरा क्षेत्र की प्राचीनता और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रमाण है।
हर वर्ष जनवरी महीने में यहाँ भव्य मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। विशेष रूप से सूर्य ग्रहण के अवसर पर यहाँ स्नान और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस समय घाटी में साधु-संतों का संगम होता है। एक रोचक दृश्य यह भी देखा जाता है कि सूर्य ग्रहण समाप्त होते ही जंगली बंदर घाटी में उतर आते हैं, जो यहाँ की अनूठी प्राकृतिक घटना बन चुकी है।

