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रायपुर जेल की जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की योजना

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रायपुर। राजधानी की 150 साल पुरानी केंद्रीय जेल, जो आजादी की लड़ाई के दौरान सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान की गवाह रही है, अब अपनी पहचान खोने के कगार पर है क्योंकि सरकार इस जेल की 40-45 एकड़ जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और व्यावसायिक हब बनाने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिसकी मौजूदा कीमत अरबों रुपए में आंकी गई है। इस रिडेवलपमेंट परियोजना से राज्य सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है, जिससे गोढ़ी (आरंग) में नई विशेष जेल बनाने का रास्ता निकलेगा, हालांकि वित्त विभाग ने गोढ़ी में 4000 कैदियों की क्षमता वाली प्रस्तावित विशेष जेल के निर्माण प्रोजेक्ट की स्वीकृति नामंजूर कर दी है जो पहले 436 करोड़ रुपए की लागत पर तैयार हुआ था। रायपुर केंद्रीय जेल में क्षमता से दोगुना कैदी हैं और यहां हार्डकोर नक्सली एवं कई बड़े अपराधों के सजायाफ्ता कैदी भी रखे गए हैं, जिसकी कुल क्षमता 1586 कैदियों की है लेकिन वर्तमान में यहां 3076 कैदी हैं। जेल की जमीन पर हर सरकार की नजर रही है, लेकिन ऐतिहासिक महत्व और सुरक्षा कारणों से विरोध की आशंका बनी हुई है। गोढ़ी में 85 एकड़ जमीन विशेष जेल के लिए आवंटित की गई है, लेकिन निर्माण कार्य का विवाद अभी तक प्रोजेक्ट को अधर में लटकाए हुए है क्योंकि जेल मैन्युअल के मुताबिक निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग से ही होना चाहिए।

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