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विज्ञान और तकनीक हमारे जीवन को प्रभावित कर रही है, आज हम अब मेटा-ह्यूमन्स के युग में हैं – राममाधव

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रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, लेखक और चिंतक राम माधव ने कहा कि आज दुनिया तेज़ी से बदल रही है और हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, जो पिछली शताब्दी से बिल्कुल अलग है। यह नई सदी आर्थिक प्रगति और तकनीकी क्रांति की है। वे साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद और छत्तीसगढ़ यंग थिंकर्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित उनकी पुस्तक ‘द न्यू वर्ड-21 सेंचुरी ग्लोबल आर्डर एंड इंडिया’ पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

चौथी औद्योगिक क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग

राम माधव ने कहा कि मानव सभ्यता अब चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर चुकी है, जिसका आधार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है।

  • “विज्ञान और तकनीक आज हर क्षेत्र में हमारे जीवन को प्रभावित कर रही है। हम अब मेटा-ह्यूमन्स के युग में हैं,” उन्होंने कहा।
  • “वर्चुअल क्लासरूम अब आम हो गए हैं और भविष्य में रोबोट शिक्षक बनकर कक्षाएं लेंगे।”

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 1980 में भारत और चीन की जीडीपी लगभग समान थी, लेकिन चीन ने अपनी आर्थिक नीतियों और व्यापारिक क्षमताओं को विकसित कर आज भारत से कहीं अधिक प्रगति कर ली है। 21वीं सदी में भारत को तकनीकी नवाचार, आर्थिक सशक्तिकरण और दीर्घकालिक रणनीति के साथ तैयार होना होगा ताकि वह बदलते वैश्विक परिदृश्य में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सके।

2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य ऐसे होगा पूरा
श्री माधव ने कहा कि “युद्ध के बाद उपनिवेशवाद के अंत की शुरुआत हुई और भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की,” उन्होंने कहा। “आज फिर से वैश्विक व्यवस्था तेज़ी से बदल रही है और भारत को इस बदलाव के अनुरूप खुद को ढालना होगा।” राम माधव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण का ज़िक्र करते हुए कहा “हमें यह स्पष्ट रूप से समझना होगा कि विकसित भारत कैसा होगा और वहां तक पहुँचने का रास्ता क्या होगा। 2047 में दुनिया कैसी होगी और भारत की भूमिका क्या होगी। इन सभी पहलुओं पर गहराई से विचार कर देश को तैयार करना होगा।”

कार्यक्र की अध्यक्षता के रहे विधानसभा के अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि डॉ राम माधव की पुस्तक से एक नई विचार यात्रा प्रारंभ हो रही है। भविष्य के वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसके लिए अकादमी संस्थाओं, प्रशासनिक अमले और शोधकर्ताओं को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। छत्तीसगढ़ में भी पिछले 25 वर्षों के दौरान ऐसी अधोसंरचना बन गई है जिसके आधार पर यहां के अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, प्रदेश में नक्सल समस्या का समय पर उन्मूलन करने के बाद बस्तर में उपजी परिस्थिति के लिए काम करने की आवश्यकता है।


भारत की भूमिका महत्वपूर्ण
हम सोचते हैं कि सबकुछ अपने आप हो जायेगा लेकिन यह संभव नहीं है. आज से 10 साल बाद आज की व्यवस्था काम आने वाली नहीं है. हमें नये स.यह के लिए तैयार रहना होगा. आज हालत यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की कोई नहीं सुन रहा है. दस साल बाद की स्थितियों से निपटने के लिए अभी से तैयार रहना होगा.
उन्होंने कहा कि 1947 के बाद हमारी सरकार से संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार के लिए सुझाव मांगे थे. इसके लिए गांधी जी ने एक पत्र लिखा जिसमें कहा कि मेरी माॅ कहती है कि हमारा कोई अधिकार नहीं है. हमें तो अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आजादी के प्रारंभिक समय में हमारे संविधान में हमारे अधिकारों का तो उल्लेख था पर कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था जिन्हें बाद में जोडा गया. दुनिया में नई व्यवस्था के लिए हमें दस साल के अंदर तैयार रहना पडेगा. हम देश को भाग्य पर नहीं छोड सकते हैं. इसके लिए हमें राष्ट्रीय एकता व टेक्नोलाजी पर निर्भर रहना होगा. प्रधानमंत्री जी ने देश की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन करने का आह्वान किया है जिसके लिए सभी को परिश्रम करना पडेगा. विकसित देशों की तरह हमें भी रिशर्च एण्ड डेवलपमेंट पर बहुत ध्यान देना होगा. समस्याएं और परिस्थितियां तो बनी ही रहेंगी. इन्हें झेलते हुए हमें आगे बढना है. जब प्रधानमंत्री 18 घंटे काम करते हैं तो हमें भी आलस्य त्यागकर अर्थव्यवस्था को बढाना होगा.
कार्यक्रम में विचारकों और विशेषज्ञों की सहभागिता
इस अवसर पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य अपूर्व मिश्र ने पुस्तक का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने की। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी और विचारक शामिल हुए। यंग थिंकर्स फाउंडेशन के उज्जवल दीपक मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने किया

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