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यहाँ रावण वध की अनूठी परंपरा

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कोंडागांव। कोंडागांव के भूमका और हिर्री गांव का दशहरा अलग तरह से मनाया जाता है। यहां रावण को नहीं जलाया जाता, बल्कि मिट्टी का विशाल रावण बनाकर उसका वध किया जाता है। यहां मिट्टी के रावण की नाभि से अमृत निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, इसे देखने दूर दराज के लोग आते हैं। यहाँ गांव के लोग मिट्टी का रावण बनाते हैं। रामलीला के मंचन के बाद रावण का वध किया जाता है। रावण की नाभि से एक कृत्रिम “रक्त” या “अमृत” निकाला जाता है। ग्रामीण इसे अपने माथे पर तिलक लगाकर स्वयं को पवित्र मानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यह तिलक शुभ फल देने वाला और समृद्धि का प्रतीक है।
पीढ़ियों से चली आ रही है यह परंपरा । जिसे ग्रामीणों ने आज तक बरकारार रखा है। ग्रामीण मानते हैं कि मिट्टी के रावण की नाभि से निकले रक्त का तिलक लगाने से उनके जीवन में सुख-शांति आती है और यह उनको शक्ति प्रदान करता है। यही कारण है कि दशहरे पर यह परंपरा आज भी पूरे उत्साह और आस्था के साथ निभाई जाती है। अब यह स्थानीय संस्कृति और पहचान का प्रतीक बन गया है। इसे अनोखी परंपरा को देखने लोग अन्य जिलों से लोग पहुंचते हैं।

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