छत्तीसगढ़ कोल लेवी घोटाले में ED ने 10 वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए 10 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है। यह मामला वर्ष 2020 से 2022 के बीच का है, जब कोयला परिवहन परमिट की प्रक्रिया को जानबूझकर ऑनलाइन से ऑफलाइन किया गया और व्यापारियों से 25 रुपये प्रति टन की दर से अवैध लेवी वसूली गई। इस घोटाले में राज्य सरकार को करीब 570 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ईडी की जांच में सामने आया है कि इस संगठित भ्रष्टाचार में राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और राजनेता भी शामिल थे। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने ही वह आदेश जारी किया था, जिसके बाद इस वसूली का खेल शुरू हुआ। घोटाले का मास्टरमाइंड कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया, जिसने अधिकारियों से मिलीभगत कर उन्हीं व्यापारियों को परमिट दिलवाए, जो तय राशि चुका रहे थे। इस मामले में अब तक सौम्या चौरसिया, समीर बिश्नोई, रानू साहू और सूर्यकांत तिवारी जैसे कई बड़े नामों को जेल हो चुकी है, हालांकि सभी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। ताजा घटनाक्रम में ईडी ने मुख्य सचिव और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को पत्र भेजकर इन 10 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत जांच शुरू करने की सिफारिश की है, लेकिन राज्य में किसी भी अफसर के खिलाफ सीधी कार्रवाई तभी हो सकती है जब सरकार अभियोजन की अनुमति दे। अक्सर ऐसा देखा गया है कि सरकार की अनुमति न मिलने के कारण ईओडब्ल्यू की जांच अधर में लटक जाती है और दोषियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती। इसी बीच रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा में कहा है कि भ्रष्ट अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा और सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। अब यह देखना अहम होगा कि क्या राज्य सरकार ईडी की सिफारिशों पर त्वरित कार्रवाई करती है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा, जबकि जनता पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद कर रही है।
