“बेसहारा की अंत्येष्टि कर पुलिस ने दिखाया इंसानियत का चेहरा”

यह घटना न केवल संवेदनशीलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कानून के रखवाले केवल अपने कर्तव्यों तक सीमित नहीं हैं — वे मानवता के प्रहरी भी हैं।
बलौदाबाजार जिले के पलारी थाना क्षेत्र में जिस तरह से सहायक आरक्षक राजेंद्र ठाकुर और आरक्षक कृष्णा यादव ने एक अज्ञात विक्षिप्त व्यक्ति का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया, वह अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक है। यह कार्य उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब मृतक की कोई पहचान या परिजन सामने न आए हों।
इस प्रकार की घटनाएं यह विश्वास दिलाती हैं कि समाज में अभी भी संवेदनशीलता और मानवीय मूल्य जीवित हैं — और पुलिस बल जैसे संस्थानों में भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो कानून के साथ-साथ इंसानियत निभाने में भी आगे हैं।
इस घटना से मिलने वाले कुछ सकारात्मक संदेश:
- समाज में पुलिस की संवेदनशील भूमिका: अक्सर पुलिस को कठोर या अनुशासनकारी नजरिए से देखा जाता है, लेकिन ऐसे कार्य उनके मानवीय पहलू को सामने लाते हैं।
- अज्ञात और बेसहारा व्यक्तियों के प्रति दया: जिनका कोई नहीं होता, उनके लिए “कोई” बनना ही सच्ची सेवा है।
- एक उदाहरणात्मक पहल: इससे अन्य विभागों और नागरिकों को भी प्रेरणा मिलती है कि संकट या असहायता के समय मानवता को प्राथमिकता दी जाए।
क्षेत्रवासियों की सराहना बिल्कुल उचित है —
यह केवल एक शव का अंतिम संस्कार नहीं था, यह एक अनजाने इंसान को अंतिम सम्मान देने की पहल थी।
यदि आप चाहें तो इस घटना पर आधारित एक छोटी सी प्रेरणादायक कहानी या समाचार लेख भी तैयार किया जा सकता है।
