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छत्तीसगढ़ का कुमर्दा गांव: मूर्तिकला का एक उभरता हुआ केंद्र

राजनांदगांव। कुमर्दा गांव, राजनांदगांव जिले की एक नई पहचान बनकर उभरा है, जहां के मूर्तिकार अपनी अद्वितीय कला से देशभर में प्रसिद्धि प्राप्त कर रहे हैं। यहां की मूर्तियों में आस्था, संस्कृति और मेहनत का संगम देखने को मिलता है, जो न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी अपनी खास पहचान बना रही हैं।
कुमर्दा की मूर्तिकला की विशेषताएं:

- आस्था और संस्कृति: कुमर्दा की मूर्तियों में आस्था और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
- गुणवत्ता और आकर्षण: हर मूर्ति में भाव, शुद्धता और सौंदर्य का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे इनकी गुणवत्ता और आकर्षण बरकरार रहता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि: कुमर्दा की मूर्तियों की मांग अब राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है, और लोग इन मूर्तियों को अपने घरों में स्थापित करने के लिए उत्सुक हैं।
कुमर्दा की मूर्तियों की मांग:
- छत्तीसगढ़ के शहरों में: रायपुर, दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव जैसे शहरों में कुमर्दा की मूर्तियों की मांग अधिक है।
- मध्य प्रदेश में: छिंदवाड़ा, बालाघाट और गुना जिलों में भी कुमर्दा की मूर्तियों की मांग बढ़ रही है।

कुमर्दा के मूर्तिकारों की कला और समर्पण ने गांव को छत्तीसगढ़ में मूर्तिकला के उभरते हुए केंद्र के रूप में स्थापित किया है। अब लोग कुमर्दा की मूर्तियों को बड़े उत्साह के साथ अपने घरों में स्थापित करते हैं और कुमर्दा के मूर्तिकारों की कला को सराहते हैं
