काजोल का ‘द ट्रायल सीजन 2’ – कहानी अधूरी, एक्टिंग जबरदस्त

काजोल की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज ‘द ट्रायल: प्यार, कानून, धोखा’ का दूसरा सीजन 19 सितंबर को JioCinema पर रिलीज हो गया है। ‘द गुड वाइफ’ से प्रेरित यह कोर्टरूम ड्रामा दर्शकों के लिए काफी उम्मीदें लेकर आया था, लेकिन दूसरा सीजन इस उम्मीद पर खरा उतरने में नाकाम रहा।
कहानी: अदालत में नहीं दिखा दम, रिश्तों की उलझनों में उलझी सीरीज
सीरीज की मुख्य किरदार नयनिका सेनगुप्ता (काजोल) एक वकील और हाउसवाइफ हैं, जो पति की बेवफाई और घोटालों के बाद अपने करियर और निजी जिंदगी को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं। दूसरा सीजन पहले सीजन के तीन महीने बाद की कहानी को दिखाता है, जहां नयनिका अपने पति राजीव सेनगुप्ता (जिशु सेनगुप्ता) को माफ कर चुकी है और अब एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रही है। इस सीजन में अदालत से ज्यादा जोर रिश्तों के उतार-चढ़ाव, नैतिक संघर्ष, मिडलाइफ क्राइसिस और सत्ता की राजनीति पर है।
6 एपिसोड, कई केस – लेकिन सब अधूरे
सीजन में यौन उत्पीड़न, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर विवाद, हत्या और पर्यावरण जैसे केस शामिल हैं, लेकिन ये केस कहानी में गहराई नहीं जोड़ पाते। कानूनी दांव-पेंच की बजाय निजी ड्रामे और अनावश्यक भावुकता ने कोर्टरूम थ्रिल को कमज़ोर किया है।
एक्टिंग: काजोल दमदार, असरानी ने चुराया शो
काजोल ने नयनिका के किरदार में पूरी ईमानदारी दिखाई, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट ने उनके परफॉर्मेंस को सीमित कर दिया।
जिशु सेनगुप्ता ने राजीव के रूप में एक बेवफा पति से राजनेता तक का सफर अच्छा निभाया।
अली खान कॉलेज फ्रेंड से बॉस बने विशाल के रोल में ठीक-ठाक रहे।
लेकिन सबसे ज्यादा सराहना मिली असरानी को, जो कोर्टरूम में विरोधी वकील मनु शर्मा के किरदार में पुराने बॉलीवुड की झलक ले आए।
म्यूजिक और प्रोडक्शन
क्लासिकल बैकग्राउंड म्यूजिक कोर्ट सीन में मेल नहीं खाता और कई बार दृश्य की गंभीरता को खत्म कर देता है।
हालांकि, एपिसोड 5 में एक लाइव परफॉर्मेंस थोड़ा असर छोड़ता है। सेट्स – मॉडर्न ऑफिस से लेकर घरों तक – शानदार और इंटरनेशनल क्वालिटी के हैं।
कमज़ोरियाँ: क्या छूट गया पीछे?
कहानी धीमी, बेमतलब और अनुमानित लगती है।
कोर्टरूम ड्रामा जैसा रोमांच गायब है।
कुछ केस केवल सतह पर छुए गए हैं, जिससे कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं बन पाता।
क्लाइमैक्स और संवादों में असर की कमी है।
