एसईसीएल की सर्वे टीम को ग्रामीणों के विरोध के चलते लौटना पड़ा खाली हाथ, एफआईआर दर्ज

कोरबा। हरदीबाजार क्षेत्र में एसईसीएल की खदान के लिए भूमि सर्वेक्षण करने पहुंची टीम को ग्रामीणों के कड़े विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पूर्व में हुई त्रिपक्षीय वार्ता सिर्फ “छलावा” थी और सर्वे प्रक्रिया में पारदर्शिता व सहमति का अभाव है।
⚠️ क्या है मामला?
एसईसीएल दीपका की टीम, प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में हरदीबाजार हॉस्पिटल मोहल्ला में सर्वेक्षण के लिए पहुंची थी।गांव के सरपंच लोकेश्वर कंवर, पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर, भाजपा जिला मंत्री अजय दुबे और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर उपस्थित थे।ग्रामीणों ने पिछले शुक्रवार को तहसील में हुई त्रिपक्षीय वार्ता में हुए समझौते की याद दिलाई, जिसमें 7 सूत्रीय मांगों — नौकरी, पुनर्वास, मुआवजा, और अन्य सुविधाएं — पर सहमति बनी थी।
✋ ग्रामीणों का विरोध क्यों?
ग्रामीणों का आरोप है कि बिना पंचायत की सूचना और सहमति के जबरन सर्वे शुरू किया गया।
समझौते के उल्लंघन को लेकर एसईसीएल प्रबंधन पर विश्वासघात का आरोप लगाया गया।
विरोध बढ़ने पर सर्वे टीम को काम बंद कर लौटना पड़ा।
📝 एफआईआर दर्ज:
सर्वे को “जबरदस्ती और असंवैधानिक” बताते हुए पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने हरदीबाजार थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि बिना ग्रामसभा या पंचायत की अनुमति के एसईसीएल द्वारा भूमि का सर्वे किया गया, जो पंचायती राज कानून और आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन है।
🗣️ ग्रामीणों की 7 सूत्रीय मांगों में प्रमुख बिंदु:
स्थानीय युवाओं को नौकरी
सभी सुविधाओं से युक्त पुनर्वास स्थल
उचित और पारदर्शी मुआवजा
ग्रामसभा की सहमति से ही कोई भी कार्य
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
सामाजिक संरचना की सुरक्षा
विकास कार्यों में ग्रामवासियों की भागीदारी
