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NSUI अब पालकों व बच्चो की आवाज बुलंद कर करेगी उग्र प्रदर्शन

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कवर्धा। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के गृह नगर और जिले में नियम कायदों को ताक में रखकर खुलेआम चल रहे शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरोध में हाल ही में एनएसयुआई द्वारा मांगों को लेकर डीईओ को ज्ञापन सौंपने के बाद भी शासन-प्रशासन तथा स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं किए। इसके चलते अब एनएसयुआई अपने निर्धारित अल्टीमेटम के मुताबिक प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तथा स्कूल शिक्षा मंत्री एवं स्कूल शिक्षा विभाग का पुतला दहन करने की तैयारी कर रहा है।

इस संबंध में एनएसयुआई के जिलाध्यक्ष शितेष चन्द्रवंशी तथा युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशरवानी ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए बताया कि एनएसयुआई ने हाल ही में स्कूली विद्यार्थियों और उनके पालकों की पीड़ा को आवाज देते हुए कवर्धा नगर सहित जिले में संचालित निजी स्कूल संचालकों द्वारा खुलेआम शासन के नियम कायदों के विपरीत निजी प्रकाशकों की मंहगी पुस्तकें-कापी बेंचने, मनमाने ढंग से स्कूलों में ड्रेस कोड लागू कर कपड़ा दुकान का व्यवसाय करने, शासन की निर्धारित गाईड लाईन के विपरीत नए शिक्षा सत्र में मनमानी फीस बढ़ाने सहित अन्य विषयों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपा था और चार दिनों का अल्टीमेटम देकर शिक्षा के इस व्यवसायीकरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन अभी तक स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। श्री चन्द्रवंशी एवं श्री केशरवानी ने बताया कि अभी भी कवर्धा नगर में विभिन्न निजी स्कूलों द्वारा चलाई जा रही निजी प्रकाशकों की पाठ्यपुस्तकों की दुकाने एवं स्कूल ड्रेस की कपड़ा दुकाने धड़ल्ले से चल रही है। इसी प्रकार निजी स्कूलों में बढ़ाई गई मनमानी फीस को भी वापस लेने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि यह सब स्कूल शिक्षा विभाग तथा शासन-प्रशासन के संरक्षण में चलाया जा रहा है। जिसका एनएसयुआई अब पुरजोर ढंग से विरोध करते हुए आगामी 4 जुलाई को कवर्धा नगर में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, स्कूल शिक्षा मंत्री तथा स्कूल शिक्षा विभाग का पुतला दहन कर स्कूली बच्चों और उनके पालकों के हक व अधिकार की लड़ाई को तेज करेगी।

एनएसयुआई ने तमाम सबूतों के साथ डीईओ के समक्ष दर्ज कराई थी शिकायत

युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशरवानी ने बताया कि उन्होंने कवर्धा नगर व जिले में संचालित निजी स्कूल संचालकों द्वारा किए जा रहे शिक्षा के व्यवसाय के तमाम साक्ष्य जिला शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराए हैं। उन्होने बताया कि एनएसयुआई ने डीईओ को उन सभी निजी स्कूलों की सूची उपलब्ध कराई है जिनके द्वारा कवर्धा नगर के बाजार में अपने स्कूलों में चलाई जा रही निजी प्रकाशकों की मंहगी पुस्तकें तथा मनमाने ढंग से लागू किए गए ड्रेस कोड, बकायदा दुकान लगाकर बेंचे जा रहे हैं। एनएसयुआई ने इन दुकान संचालकों द्वारा पाठ्यपुस्तक तथा स्कूल कोड के मुताबिक चलाई जा रहे ड्रेस कोड की बिक्री के बाद पालकों को दी जा रही कच्ची रसीद भी डीईओ को उपलब्ध कराई गई है। जिसमें न तो कोई टैक्स की जानकारी है और न ही दुकान का पंजीयन नम्बर है। बावजूद इसके विभाग द्वारा इन दुकान संचालकों और इन्हें चलाने वाले निजी स्कूल संचालकों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।

बुटिक दुकान और हास्पिटल में बेंची जा रही निजी स्कूली की मंहगी शैक्षणिक सामग्री

एनएसयुआई जिलाध्यक्ष शितेष चन्द्रवंशी ने बताया कि इसे शासन-प्रशासन, स्कूल शिक्षा विभाग और नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी तथा लापरवाही की पराकाष्ठा ही कहें की कोई निजी स्कूल संचालक अपने स्कूल की पाठ्यपुस्तक तथा तमाम गणवेश अपने रिश्तेदार की बुटिक दुकान में बेंच रहा है तो कोई इन पुस्तकों और स्कूल ड्रेस की बिक्री हॉस्पिटल से कर रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि इन दुकान संचालकों के पास गुमास्ता किस दुकान का है, बुटिक दुकान का या फिर स्टेशनरी दुकान का या फिर कपड़ा दुकान का? मजेदार बात यह है कि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के गृह नगर जिला मुख्यालय कवर्धा में चल रही इस भर्राशाही के बाद भी भाजपा नेता सुशासन की बात कर लोगों को बरगला रहे हैं।

भाजपा सरकार के शिक्षक चला रहे निजी कोचिंग

एनएसयुआई ने आरोप लगाते हुए कहा की प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के गृह नगर में निजी स्कूल संचालकों द्वारा तो शिक्षा का खुलेआम और धड़ल्ले से व्यवसायक किया ही जा रहा है अब सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को भी शिक्षा का व्यवसाय करने की खुली छूट देकर सरकारी स्कूलों में अध्यनरत बच्चों की आड़ में पालकों का आर्थिक शोषण करने लायसेंस दे दिया है। शायद यही वजह है कि कवर्धा नगर के सरकारी स्कूलों में पदस्थ सरकारी शिक्षक स्कूली बच्चों को प्राईवेट कोचिंग देकर प्रति विषय 4 से 5 हजार रूपए तक की फीस वसूल रहे हैं।

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