दलाई लामा ने उत्तराधिकारी चुने जाने का किया खुलासा, इसमें चीन का दखल नहीं

नई दिल्ली। दलाई लामा जल्द ही 90 वर्ष के होने जा रहे हैं। दलाई लामा की बढ़ती उम्र के कारण अक्सर उनके उत्तराधिकारी और उसके चुनाव को लेकर चर्चा होती रहती है। गौरतलब है कि दलाई लामा का असली नाम तेनज़िन ग्यात्सो है। वह 14वें दलाई लामा हैं और उनके उत्तराधिकारी को 15वें लामा के रूप में जाना जाएगा। दलाई लामा चुने जाने की ये प्रथा 600 साल से जारी है। अब दलाई लामा ने इस बात का खुलासा कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी कब चुना जाएगा। दलाई लामा ने कहा है कि उनकी मृत्यु के बाद नए दलाई लामा का चुनाव होगा। दलाई लामा ने धार्मिक नेताओं की एक बैठक की शुरुआत में एक वीडियो प्रसारण में ये बात कही है। इसके साथ ही दलाई लामा ने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन पर भी निशाना साधा है। उन्होंने इसमें चीन की भूमिक को खारिज कर दिया है।
दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन में चीन की भागीदारी को खारिज कर दिया है। दलाई लामा ने कहा है कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी केवल दलाई लामा के कार्यालय, गादेन फोडरंग ट्रस्ट के सदस्यों पर होगी। दलाई लामा ने X पर अपने एक ट्वीट में कहा- “मैं इस बात को फिर से दोहराता हूं कि भावी पुनर्जन्म (दलाई लामा के चयन) को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही है। किसी अन्य को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”
गौरतलब है कि चीन ने साल 1950 में तिब्बत पर हमला कर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भारत आ गए थे । तिब्बत पर तभी से चीन का कब्जा है। दलाई लामा 1959 से ही भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। वर्तमान में दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मैकलियोडगंज में रहते हैं। वे अक्सर अपने संदेश में कहा करते हैं कि वह अभी शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति अपनी सेवा जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
