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पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे का निधन, अंतिम संस्कार आज

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रायपुर। छत्तीसगढ़ी के जाने-मानें हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे का गुरुवार को निधन हो गया। उन्होंने ACI में इलाज के दौरान आज अंतिम सांस ली। उनकी तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें ACI में भर्ती कराया गया था। लेकिन हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज मारवाड़ी शमशान घाट में नेताओं और कला क्षेत्र के प्रसिद्ध हस्तियों का पहुंचना जारी है। यहाँ पहुंचने वालों में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, सुनील सोनी, मंत्रिमंडल के सदस्य, कवि कुमार विश्वास, सूफी भंजन गायक पद्मश्री मदन चौहान, कवि सुदीप भोला, गायक-अभिनेता सुनील तिवारी, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह आदि शामिल हैं। डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया। उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया।

उनका जन्म 8 अगस्त 1953 को बेमेतरा में हुआ था । डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उनकी पहचान एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनी। भारतीय साहित्य और छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं। उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।
इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था। वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है।

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