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वर्षों से कृषि उपज मंडी का 25 करोड़ रुपए दबाकर बैठी भोरमदेव शक्कर कारखाना, कई महत्वपूर्ण योजना प्रभावित

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कवर्धा। कहते हैं अब तक अन्य लोग शासन का पैसे का नुकसान करते हैं, लेकिन यहां तो मामला ही कुछ और है।
जी हां वर्षों से भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना द्वारा मंडी बोर्ड का करीब 25 करोड़ रुपए की राशि दबाकर बैठी हुई है। जबकि शक्कर कारखाना हर वर्ष किसानों से गन्ना खरीदी कर रही हैं लेकिन मंडी को मंडी शुल्क देने में आना कानी कर रही है। इसके कारण मंडी बोर्ड को अर्थिक तंगी का सामना करना पड रहा है। साथ ही कई महत्वपुर्ण योजनाएं व विकास कार्य भी प्रभावित हो रही है। जबकि किसानों से किसी प्रकार की भी फसल खरीदी पर मंडी को मंडी शुल्क देना होता हैं चाहे वह कोई व्यपारी हो या सरकार की योजना के माध्यम से हो, लेकिन भोरमदेव शक्कर कारखाना के प्रबंधक व विभाग द्वारा मंडी को पैसा देने मेें कोई रचि नहीं दिखा रही है।


भोरमदेव शक्कर कारखाना द्वारा पिछले दस वर्षों से मंडी शुल्क जमा नहीं किया जा रहा हैं। इसके कारण मंडी शुल्क की राशि दस वर्षों से बढकर 25 करोड़ के आसपास जा पहुची हैं, मंडी बोर्ड द्वारा समय समय पर शुल्क की मांग की जाती हैं। इसके बाद भी इतने लम्बे समय से यहां राशि जमा करने में शक्कार कारखाना प्रबंधक कोई ध्यान नहीं दे रही हैं।

किसानों का कुल गन्ना खरीदी की किमत का एक प्रतिशत शुल्क मंडी बोर्ड में जमा करना होता हैं। इसमें का एक हिस्सा मंडी बोर्ड कृषक कल्याण के लिए राशि रखी जाती हैं, जिसका कुल राशि 5 करोड़ 83 लाख 95 हजार रुपए हैं यहां पैसा शक्कर कारखाना पिछले दस वर्षों से जमा नहीं किया हैं। इसी प्रकार निराश्रित शुल्क के रुपए में मंडी में जमा किया जाना होता हैं, जिसका कुल राशि 3 करोड़ 25 लाख 17 हजार के करीब हैं, जिसे अब तक जमा नहीं किया गया है।


कलेक्टर फंड में जमा होता हैं निराश्रित शुल्क का पैसा
बता दें कि शक्कर कारखाना जो मंडी शुल्क जमा करती है उसका एक हिस्सा कलेक्टर फंड में निराश्रितों को पेंशन के लिए जाता हैं इसी पैसे से निराश्रितों को पेशन दिया जाता हैं, लेकिन कारखाना के पैसा नहीं देने से निराश्रित पेंशन वितरण में प्रभावित होने का डर बना हुआ हैं। यह राशि करीब 3 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी हैं। इसी प्रकार किसानों को जागरुक करने साहित किसानों के हित व सुविधा देने के लिए कृषक कल्याण शुल्क लिया जाता है, लेकिन कारखाना के पैसा नहीं देने के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।

मंडी क्षे़त्र में यदि कोई किसानों से फसल खरीदता हैं जो मंडी को शुल्क देना होता हैं। इसके बाद इस राशि का उपयोग उसकी क्षेत्र के किसानों व विकास निमार्ण कार्याें में खर्च किया जाता हैं, लेकिन शक्कर कारखना से शुल्क जमा नहीं होने से निमार्ण कार्य में तेजी नहीं हो पा रही हैं।

किसानों से गन्ना खरीदी किया जाता हैं जितने राशि का गन्ना खरीदी किया जाता है उसका एक प्रतिशत राशि मंडी बोर्ड में जमा करना होता हैं। पिछले करीब दस वर्षों से राशि जमा नहीं कि गई हैं। समय समय पर इसकी मांग की जाती है।
नरेश कुमार भंडारी, सचिव, कृषि उपज मंडी कवर्धा

हम किसानों से सीधे गन्ना खरीदी करते हैं। जिले के गुड फैक्टी में मंडी शुल्क नहीं देती है। कारखाना कितने समय से नहीं दिया है। इससे देखना पडेगा। मामला कोर्ट में ही इसके कारण शुल्क कहीं भी नहीं दिया गया हैं।
जी एस शर्मा, प्रबंधक, भोरमदेव शक्कर कारखाना, कवर्धा

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