शांति वार्ता के लिए गिड़गिड़ा रहे नक्सलियों ने केंद्र सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की गुहार लगाते हुए जारी किया पर्चा

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार चल रहे नक्सल विरोधी अभियान से नक्सलियों के पैर उखड़ रहे हैं, ऐसे में नक्सली हताश और परेशान हैं। उनका संगठन कमजोर हो चुका है। नक्सलियों ने लगातार पांचवीं बार पर्चा जारी कर सरकार से पुन: शांति वार्ता की अपील करते हुए नक्सली संगठन के केंद्रीय कमेटी प्रवक्ता अभय ने जारी पर्चे में कहा है कि शांति वार्ता के लिए केंद्र की मोदी सरकार तैयार हैं या नहीं,अपनी स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है। नक्सली इससे पहले भी चार बार खत लिखकर शांतिवार्ता की बात कह चुके हैं। नक्सली संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने कहा है कि शांति वार्ता के मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया आनी चाहिए। उनकी प्रतिक्रिया से ही स्पष्टता आएगी। उसने स्वीकार किया कि कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 26 नक्सली मारे गए हैं। नक्सली संगठन शांति वार्ता के लिए तैयार है। नक्सली संगठन हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आने की बात करेंगे, लेकिन इलाके में 7 लाख से अधिक जवानों के घेरे रहने के कारण संगठन की बैठक करने में असमर्थ रहे हैं।
नक्सली प्रवक्ता द्वारा जारी पर्चे में कहा गया है कि इससे पहले 25 अप्रैल को नक्सली संगठन ने केंद्र व राज्य सरकारों से यह अपील की थी कि जन समस्याओं का स्थायी समाधान के लिए समय सीमा के साथ युद्ध विराम की घोषणा कर शांति वार्ता करें। इस पर तेलंगाना राज्य सरकार की ओर से तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देना सराहनीय है, लेकिन केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार से जो प्रतिक्रिया सामने आई वह चिंताजनक है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री बंडि संजय और छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने यह घोषणा की थी कि युद्ध विराम करने का सवाल ही नहीं उठता और हथियार छोडऩे के बगैर नक्सलियों से शांति वार्ता करना संभव नहीं है। विजय शर्मा ने बार-बार यह घोषणा की है कि बिना शर्त शांति वार्ता करने के लिए सरकार तैयार है पर अब इसके विपरीत युद्ध विराम करने के बगैर ही नक्सलियों को हथियार छोडऩे का शर्त लगाए हैं।
