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उग्रसेन की मेहनत और वन अधिकार पत्र: एक परिवार की उम्मीदों की कहानी

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00 वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित “वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006” के अंतर्गत महासमुंद जिले के बसना विकासखंड के ग्राम कुदारीबाहरा के निवासी श्री उग्रसेन को 1.029 हेक्टेयर भूमि पर व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्रदान किया गया। यह केवल एक दस्तावेज़ नहीं था, बल्कि उनके सपनों को पंख देने वाली चाबी बन गया। कभी अपने परिवार की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करने वाले उग्रसेन, आज एक सफल और आत्मनिर्भर किसान के रूप में अपनी नई पहचान बना चुके हैं। इस अधिकार पत्र ने न केवल उनकी ज़मीन को वैधानिक मान्यता दी, बल्कि उनके जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल दी।
भूमि के स्वामित्व के साथ ही उग्रसेन ने खेती की ओर रुख किया। वर्ष 2023-24 में उन्होंने धान की खेती की, जिससे लगभग 2 लाख रुपये की आय अर्जित की। इस आय से उन्होंने अपनी जमीन पर बोरवेल खुदवाया, जिससे सिंचाई की सुविधा बेहतर हुई। अब वे धान के साथ-साथ मूंगफली, बैंगन, और गोभी जैसी फसलें भी उगा रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में लगातार इज़ाफा हो रहा है।
खेती से मिली इस सफलता ने न केवल उग्रसेन की आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उनके पूरे परिवार को भी सशक्त बनाया। उन्होंने अपनी आय का उपयोग बच्चे की शादी और पारिवारिक ज़रूरतों को पूरा करने में किया। उनका आत्मविश्वास अब पहले से कहीं अधिक है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित यह योजना गरीब, वंचित और आदिवासी समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बनकर उभरी है। वन अधिकार अधिनियम 2006 का यह सफल क्रियान्वयन न केवल श्री उग्रसेन को एक सशक्त किसान बनने में मदद कर रहा है, बल्कि उनके परिवार के भविष्य को भी सुरक्षित कर रहा है।

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