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जिन भाषाओं को संविधान में दर्जा उसका अलग महत्व है: अमित चिमनानी

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सिंधी भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कार्यक्रम प्रमुख अमित चिमनानी ने कहा कि संविधान ने 1950 में केवल 14 भाषाओं को मान्यता दी थी उसके बाद संशोधन करके 1967 में सिंधी भाषा को इसमें जोड़ा गया था और अब तक केवल 8 ही भाषाओं को जोड़ा गया है कुल मान्यता पात्र भाषाएं केवल 22 है उसमें सिंधी भी एक है।यह गर्व का विषय है।जिस भाषा को मान्यता होती है उसका प्रयोग संसद और विधानसभा में हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षाएं उसमें दी जा सकती है। साहित्य के ज्ञानपीठ पुरस्कारों के लिए इस भाषा के साहित्यकारों का चयन किया जा सकता है।भाषा के प्रचार प्रसार के लिए सरकार की तरफ से मदद भी मिलती है ऐसे में इसके कई फायदे है।
कार्यक्रम में समाज के इनकम टैक्स,पुलिस, साथ हीं भारत सरकार के कुछ महत्वपूर्व विभागों में कार्यरत लोगों,छत्तीसगढ़ का परचम टीवी सीरियल्स के माध्यम से लहराने वाले लोगों ,पत्रकारिता और समाज सेवा अग्रणी लोगों ,साहित्य के क्षेत्र में जीवन खपाने वाले वरिष्ठ जन का सम्मान किया गया ।कार्यक्रम में पूज्य शदाणी दरबार से श्री उदय शदाणी जी,साधु समाज के अध्यक्ष श्री मुरलीधर उदासी जी ,धमतरी महापौर श्री जगदीश रोहरा जी मुख्य वक्ता सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री मुरलीधर माखीजा जी ,समाज के वरिष्ठ से श्री मनुमल जी भारतीय सिंधु सभा के प्रांतीय अध्यक्ष श्री लधाराम नैनवानी जी,पूज्य छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के अध्यक्ष श्री महेश दरयानी जी,आयोजक संस्था के अध्यक्ष श्री अजय जयसिंघानी जी, अनिल जोतसिंघानी,सतीश पमनानी,पंकज चिंजवानी बंटी गांवडा ,जी सहित समाज के वरिष्ठ जन और युवा साथियों की गरिमामई उपस्थिति रही। सुश्री मीनल आर्य को इनकम टैक्स अधिकारी बनने,श्री रोशन आहूजा को पुलिस विभाग में अधिकारी बनने,श्री मोहित जसवानी को टीवी सीरियल्स में सफलता प्राप्त करने,श्री पवन केसवानी को पत्रकारिता व 2100 से ज्यादा देह दान के सहमति पत्र भरवाने श्री मुरली बत्रा को सिंधी भाषा में लैक्चरार बनने,समीर वेश्यानी और उनकी टीम को शहर में सफाई अभियान चलाने,बढ़ते कदम संस्था को उत्कृष्ट समाज सेवा के कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

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