ChhattisgarhRegion

2200 करोड़ के शराब घोटाले पर सीबीआई जांच की मांग ने पकड़ा जोर

Share


00 भाजपा विधि प्रकोष्ठ प्रमुख नरेश चंद्र गुप्ता ने केंद्र को भेजा 200 पन्नों का दस्तावेज़ी पत्र
00 शिकायत में पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर आला अफसरों और पुलिस अधिकारियों के नाम
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर अब भाजपा के विधि प्रकोष्ठ ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं प्रदेश कार्यालय प्रभारी अधिवक्ता नरेश चंद्र गुप्ता ने इस पूरे मामले में सीबीआई से स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय गृह मंत्री, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को गोपनीय पत्र भेजा है। पत्र के साथ भेजे गए 200 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेज़ों में घोटाले से जुड़े अहम कानूनी साक्ष्य और न्यायालयीन आदेश शामिल हैं। इन अभिलेखों में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू एसीबी) द्वारा 17 जनवरी 2024 को दाखिल की गई चार्जशीट, 30 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का आदेश (एमसीआरसी 5081/2024) और 24 फरवरी 2025 को ट्रायल कोर्ट का आदेश शामिल हैं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य एजेंसी की जांच अधूरी है और महत्वपूर्ण सुरागों को जानबूझकर छोड़ दिया गया है। गुप्ता ने शिकायत में वर्ष 2019 से 2023 के बीच शराब कारोबार से जुड़ी गड़बडिय़ों का सिलसिलेवार विवरण देते हुए कहा कि बारकोड ठेकों में पारदर्शिता नहीं रखी गई, कई डील एक ही ठेकेदार को बिना पुन: निविदा प्रक्रिया के दी गईं। स्टॉक रजिस्टर, गोदाम लॉग और ई-पेमेंट विवरणों में भिन्नता पाई गई, जबकि आरटीआई में मांगी गई जानकारियां ‘रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं’ बताकर टाल दी गईं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, रिटायर्ड आईएस अधिकारी अनिल टुटेजा, सीएसएमसीएल के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी, निलंबित उप सचिव सौम्या चौरसिया, अशिष वर्मा, मनीष बंछोर, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा, विकास उर्फ सुब्बू, संजय दीवान, अरविंद सिंह और अनवर ढेबर के नाम इस घोटाले से सीधे जुड़े बताए गए हैं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि शराब बिक्री से जुड़ी अवैध नकदी को स्थानीय थानों में एकत्र किया गया और फिर उसे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (इंटेलिजेंस) अभिषेक महेश्वरी के माध्यम से अनवर ढेबर के ‘सेफ हाउस’ तक पहुंचाया गया। यह पूरा नेटवर्क, जिसे शिकायतकर्ता ‘कैश चैनल’ बता रहे हैं, ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच में शामिल ही नहीं है। साथ ही आरोप है कि आबकारी सॉफ्टवेयर में जानबूझकर तकनीकी बदलाव किए गए, जिससे फर्जी स्टॉक, घोस्ट डिस्पैच और गलत इन्वेंट्री रिपोर्ट तैयार की गईं।
यह छेड़छाड़ पूर्व आबकारी सचिव त्रिपाठी के निर्देश और एनआईसी के अधिकारी सिशिर रायजादा की तकनीकी सहायता से हुई। डिस्टिलरी मालिकों और लाइसेंसधारकों में नवीन केडिया, भूपेंदर पकल सिंह भाटिया, राजेन्द्र जायसवाल, सिद्धार्थ सिंघानिया, संजय व मनीष मिश्रा (नेक्सन), अतुल कुमार सिंह, मुकेश मंचंदा (ओम सांई), आशीष सौरभ केडिया (दिशा वेंचर्स) जैसे नामों का भी उल्लेख किया गया है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, शिकायत में पेश दस्तावेज और संदर्भ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) व 17 के तहत सीबीआई जांच के लिए पर्याप्त आधार बनाते हैं। गुप्ता ने पत्र के अंत में कहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति को देखते हुए यह जरूरी है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच केवल सीबीआई ही कर सकती है। राज्य एजेंसी पर अब भरोसा नहीं बचा।

GLIBS WhatsApp Group
Show More
Back to top button