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भक्ति का पता विपत्तियों में ही चलता है-आचार्य झम्मन शास्त्री

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00 धन अर्जन का कुछ हिस्सा जनकल्याण में अवश्य लगायें
रायपुर। श्रद्धालुओं की भक्ति का पता विपत्तियों में ही चलता है,विपत्तियां श्रद्धालुओं की भक्ति की परीक्षा भी हैं और अवसर भी। श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दिव्य आयोजन में विप्रनगर विष्णुमंगलम् अग्रोहा कालोनी में कथा व्यास व्याख्यान दिवाकर पंडित झम्मन शास्त्री ने प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई साथ ही राजा बलि की कथा गाते हुए कहां की श्रद्धालुओं की भक्ति का पता विपत्तियों में ही चलता है।
भक्त प्रहलाद ने अपने पिता के द्वारा किए गए अत्याचारों को भगवान के ऊपर विश्वास रखते हुए सहन किया अंत में भगवान स्वयं प्रकट होकर अत्याचारी का अंत किया। हमें भी विपत्तियों में भगवान के परीक्षा को समझना चाहिए एवं भगवान पर विश्वास करना चाहिए राजा बलि की कथा सुनाते हुए दान की विशेष महत्व को बताएं दान करने से धन की शुद्धता होती है। आज के समय में लोग तरह-तरह के यत्न करके पैसा कमा रहे हैं। इस दौरान वह भी नहीं देख रहे हैं कि उस धन का क्या प्रभाव पड़ेगा इसलिए जितना भी कमा रहे हो उसका कुछ हिस्सा जनकल्याण के कार्यों में खर्च करें। भागवत कथा अमृत तुल्य है। शास्त्री जी ने कहा कि 18 पुराणों में वेद के मंत्रों की व्याख्या भगवान वेद् व्यास ने की सत्य धाम व न्याय नीति की स्थापना के लिए श्रद्धालुओं को संघर्ष करना चाहिए भागवत कथा अमृत तुल्य है। वर्तमान समाज में द्वंद ,संघर्ष कलह, कटुता, द्वेष बढ़ रहा है। जो जहर तुल्य है। उन दस प्रवृत्तियों को रोकने के लिए सात्विक भावना से सात्विक विचार से भागवत कथा सुनने व भागवत संकीर्तन की आवश्यकता है। जिससे समाज में सभी प्रकार की कुरीतियों का समन होगाऔर समाज व मानव को बचाया जा सकता है।

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