जीवन का उद्देश्य ईश्वर को पाना है,न कि धन-वैभव और जीवकोपार्जन में लगे रहना – आचार्य शास्त्री

रायपुर। ज्ञान यज्ञ का उद्देश्य केवल यश पाने के लिए किसी इच्छा के अधीन किया गया धर्म नहीं बल्कि कथा के माध्यम से अंत:करण को शुद्ध किया जाता है । भगवान को पाने की इच्छा हो तो परीक्षित और शुकदेव का संवाद ही सुन ले तो जीवन धन्य हो जाएगा अकाल मृत्यु से बचाने के लिए भागवत कथा का श्रवण अवश्य करें ( प्रभु के लीला के बगैर ना कोई जन्म ले सकता है और ना किसी की मृत्यु हो सकती है सभी कालचक्र में ईश्वर की सहमति विद्यमान रहती है आकृतार्थ जीवात्मा को पुनर्जन्म लेना पड़ता है इसलिए 24 घंटे में कम से कम सवा घंटा प्रभु की स्तुति भजन कीर्तन के लिए देना चाहिए। जीवन का उद्देश्य ईश्वर को पाना है न कि केवल धन वैभव और जीवकोपार्जन में लगे रहना। राजधानी रायपुर के अग्रोहा कालोनी रायपुर में श्रीमद्भागवत के प्रथम दिवस कथा के दौरान आचार्य झम्मन शास्त्री ने उक्त बातें श्रद्धालुओं के सम्मुख कही।
आचार्य श्री ने कहा कि पार्टी और सरकार परोपकार के लिए है न की स्वहित के लिए, देश में लोग गौ माता के चारागाह पर भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। माता को संरक्षित करने के लिए कोई तैयारी किसी सरकार की नहीं दिखती तो शुद्ध दूध घी दही और मक्खन कहां से मिलेगा। भागवत कथा में युवा नहीं आते ,जबकि श्री राम कथा और भागवत कथा का उद्देश्य भटकते युवाओं को ग्रंथ के माध्यम से धर्म से जोडऩा है इसीलिए हर घर में एक युवा को ऐसे ही कथाओं में शामिल होना चाहिए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पुण्य भूमि है,यह भगवान श्री राम का ननिहाल है। यही कारण है । कि तमाम प्राकृतिक आपदाओं से छत्तीसगढ़ का अप्रभावित रहता है। वहीं आज धरती माता को 104 डिग्री का बुखार सता रहा है ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं समुद्र की जलधारा बढ़ रही है। मानव विकास के चक्कर में प्रकृति से छेड़छाड़ किया जा रहा है। भगवान मनु और शतरूपा पर वंशज का जीवन खतरे में है। इसलिए सनातन धर्म से साइंस को भावनात्मक प्रकल्पता से जोड़े तब जाकर सनातन धर्म आपकी रक्षा करेगा।
