परिवार का साथ छोडने वाले विभीषण आज भी हमारे समाज में अस्वीकार्य – ठेंगड़ी

00 महाराष्ट्र मंडल में रामनवमी महोत्सव के अंतिम दिन अरविंद जोशी ने मेघनाथ, वैशाली जोशी ने उर्मिला, संगीता निमोणकर ने सुलोचना और धनश्री पेंडसे ने की मंदोदरी ने चरित्र की व्याख्या
रायपुर। विभीषण विपरीत परिस्थितियों में अपने परिवार का साथ छोड़कर प्रभु राम के पास चले गए। रावण से हुए युद्ध में उन्होंने धर्म यानी प्रभु श्रीराम का साथ दिया।इसके बावजूद आज भी हमारे समाज में विभीषण न केवल अस्वीकार्य है बल्कि गाली व अपमान का सूचक भी है। महाराष्ट्र मंडल में रामनवमी महोत्सव के अंतिम दिन सचेतक रविंद्र ठेंगडी ने विभीषण के पात्र पर इस आशय के विचार रखे। इस मौके पर अरविंद जोशी ने मेघनाथ पर, वैशाली जोशी ने उर्मिला पर, धनश्री पेंडसे ने मंदोदरी पर और संगीता निमोणकर ने सुलोचना के चरित्र का विश्लेषण किया।
ठेंगड़ी ने महाभारत के भीष्म और रामायण के पात्र विभीषण का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए कहा कि भीष्म नीतियों के खिलाफ चलने वाले अंधे राजा धृतराष्ट्र और कौरव पुत्रों के साथ रहे। हर क्षण उन्हें धर्म और न्याय की राह पर चलने की सीख देते रहे। यही कारण है कि आज भी हमारे समाज में अपने परिवार के साथ खड़े भीष्म को उनकी प्रतीज्ञा के लिए याद किया जाता है। आप भी सुख- दुख में परिवार के साथ एकजुट रहें।
मेघनाथ के वध पर अहंकार मत करना लक्ष्मण: जोशी
अरविंद जोशी ने कहा कि रामायण में इंद्रजीत एक अद्वितीय योद्धा है, जिनका वध शेषनारायण के अवतार लक्ष्मण ने किया। युद्ध में लक्ष्मण ने मेघनाथ का वध किया। एक कथा प्रचलित है कि मेघनाथ की पत्नी सुलोचना लक्ष्मण से कहती हैं कि मेघनाथ का वध आपने किया है, इस अहंकार में मत रहना। उनका वध उर्मिला के पतिव्रत धर्म और नारी का सम्मान न करने वाले रावण का साथ देने के अधर्म के कारण हुआ। जोशी ने कहा कि अधर्म का साथ देने वालों का अंतत: यही हश्र होता है।
मेघनाथ की पत्नी सुलोचना की पतिव्रता सीता से कम नहीं: संगीता
संगीता निमोणकर के अनुसार सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पतिव्रता पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए युद्ध में मेघनाद का वध हुआ। उसके कटे हुए शीश को भगवान श्रीराम के शिविर में लाया गया था। अपने पति की मृत्यु का समाचार पाकर सुलोचना ने अपने ससुर रावण से राम के पास जाकर पति का शीश लाने की प्रार्थना की, किंतु रावण के इंकान करने के बाद वे प्रभु श्रीराम के शिविर में जाकर अपने पति का शीश लाती हैं। सुलोचना आज भी रामायण कथा में लंका की सम्मानीय की पात्र हैं।
त्याग, समर्पण, धैर्य, धर्मपरायणता की प्रतिमूर्ति थीं उर्मिला: वैशाली
वैशाली जोशी ने बताया कि रामायण में उर्मिला, लक्ष्मण की पत्नी के रूप में धैर्यवान, समर्पण और धर्मपरायण स्त्री के रूप में चित्रित की गई हैं। मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना की पुत्री उर्मिला को नागलक्ष्मी का अवतार माना जाता है। उर्मिला कठिन परिस्थितियों में भी शांत और स्थिर रहतीं थीं। आज के आधुनिक युग में उर्मिला का पात्र भी हर उम्र की नारियों को जीवन जीने के तौर तरीके सिखाता है।
रावण को सत्य व धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह देतीं थीं मंदोदरी: धनश्री
धनश्री पेंडसे ने बताया कि रामायण में मंदोदरी रावण की पत्नी, सुंदर, बुद्धिमान और धर्मपरायण महिला के रूप में चित्रित की गई है, जो अपने पति को हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह देती है। रावण उनकी सलाह को अक्सर नजरअंदाज कर देता है। रावण के सीता का अपहरण करने के कृत्य को लंका में सबसे पहले मंदोदरी ने गलत व अधर्म बताया था और उसे धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह भी दी थी।
