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प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज बना सिम्स, जहां अब होगी एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज बन गया है, जहां एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। सिम्स की सेंट्रल लाइब्रेरी में 10 लाख रुपए की लागत से हिंदी माध्यम की पाठ्यपुस्तकें मंगाई गई हैं, जिससे खासकर हिंदी माध्यम से पढ़कर आए विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलेगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की घोषणा के अनुरूप उन छात्रों की सुविधा के लिए लिया गया है, जो हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश लेते हैं। हिंदी में पढ़ाई होने से छात्रों की कठिनाइयां कम होंगी और वे मेडिकल की जटिल अवधारणाओं को आसानी से समझ सकेंगे। हालांकि, महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दावली अंग्रेजी में ही रखी जाएगी। अब मेडिकल के छात्र परीक्षा भी हिंदी में दे सकेंगे, हालांकि उनके पास अंग्रेजी में परीक्षा देने का विकल्प भी उपलब्ध रहेगा। इस बदलाव से छात्रों को भाषा संबंधी कठिनाइयों से राहत मिलेगी और वे अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
कहा जा रहा है कि हिंदी में पढ़ाई होने से डॉक्टरों और मरीजों के बीच संवाद भी सरल होगा। वर्तमान में अधिकतर डॉक्टर अंग्रेजी में पर्चियां लिखते हैं, जिससे मरीज और उनके परिजनों को समझने में कठिनाई होती है। अब भविष्य में डॉक्टर दवाई की पर्चियां भी हिंदी में लिख सकेंगे, जिससे मरीजों को उपचार प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
सिम्स की सेंट्रल लाइब्रेरी में हिंदी माध्यम की पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध कराई गई है। इनमें नेत्र विज्ञान, रचना विज्ञान समेत विभिन्न चिकित्सा विषयों की हिंदी भाषा में पुस्तकें शामिल हैं। इससे हिंदी माध्यम के छात्रों को अपनी पढ़ाई में आसानी होगी। इसके बाद मध्य प्रदेश और बिहार के बाद, छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य बन गया है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होगी।

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