राज्य सरकार की अनुमति के बिना जलाशय की जमीन जिंदल स्टील को आबंटित करने का मामला सदन में उठा

रायपुर। सरकार की अनुमति के बिना केलो परियोजना के लिए जलाशय की जमीन जिंदल स्टील को आबंटित करने का मामला बुधवार को विधानसभा में कांग्रेस के विधायक उमेश पटेल ने उठाया। इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने अनभिज्ञता जताई और सदन समिति से जांच कराने की विपक्ष की मांग को नामंजूर कर दिया। इससे नाराज होकर कांग्रेस के विधायकों ने सदन से बर्हिगमन कर दिया।
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के उमेश पटेल ने मंत्री से यह पूछा कि क्या केलो परियोजना की कोई जमीन किसी इंन्डस्ट्रीज को ट्रांसफर की गई है। मंत्री वर्मा ने कहा विधायक जो शिकायत कर रहे हैं उसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है। उमेश पटेल ने मंत्री को जानकारी दी कि अगस्त 24 में ग्राम जोरापाली के खसरा नंबर 5/2 समेत 22 खसरों की जमीन जिंदल स्टील के नाम पर ट्रांसफर की गई है। मैंने और ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की थी लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस शिकायत पर अब कार्रवाई करेंगे। राजस्व मंत्री ने कहा शिकायत दे दे तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
इस पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा बिना राजस्व मंत्री की कमेटी की अनुमति के बिना इतनी बड़ी जमीन का लैंड यूज बदल गया और मंत्री को पता ही नहीं आश्चर्य की बात है। मंत्री वर्मा ने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो विभागीय जांच कराएंगे। बघेल ने कहा कि मंत्री के खिलाफ कोई अफसर जांच नहीं कर सकता इसकी सदन समिति से जांच कराएं। वर्मा ने जवाब दिया हम विभागीय जांच कराएंगे। बघेल ने कहा जो अफसर जमीन की अफरा-तफरी कर रहे हैं वो मंत्री की जांच कैसे करेंगे। इतना बड़ा लैंड स्केम हो गया और मंत्री को पता नहीं।
जलाशय की जमीन का लैंड यूज बदल गया, जमीन की ट्रांसफर कर दी गई। कैबिनेट मंत्री को न पता है न अनुमति है। इसलिए कह रहा हूं विधानसभा की समिति से जांच करा लें। श्री बघेल ने कहा मध्यप्रदेश का मड़वा ताल जमीन घोटाले के बाद तय हुआ था कि लैंड यूज राजस्व मंत्री की कमेटी ही बदलेगी। और यहां उल्टा ही हो गया। इसमें मंत्री को जानकारी न होना और भी संदिग्ध है। राजस्व मंत्री वर्मा ने विधानसभा की समिति के बजाए विभागीय जांच कराने की बात कहते रहे। इसका विरोध करते हुए भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने सरकार विरोध नारेबाजी शुरू कर दी। वे सदन कमेटी से जांच कराने, जमीन घोटाला बंद करने के नारे लगाते हुए सदन से बाहर हो गए।
