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नक्सलियों द्वारा तोड़का मुठभेड़ को फर्जी बताये जाने के बाद अधिवक्ता बेला ने भी मुठभेड़ को बताया फर्जी

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बीजापुर। नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो समता ने 5 फरवरी को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक फरवरी को बीजापुर जिले के तोड़का में हुए मुठभेड़ को फर्जी बताया, जिसके बाद आज शुक्रवार को अधिवक्ता बेला भाटिया के द्वारा मीडिया को जारी प्रेस नोट एवं गंगालूर थाना के सामने ग्रामीणों की ली गई एक फोटो के माध्यम से बताया गया कि मैंने कोरचोली-तोडका में 1 फरवरी 25 को हुई तथाकथित मुठभेड़ की जांच की है, और उसे फर्जी पाया है।
जांच उपरांत मृतक और घायलों के परिजनों को पुलिस शिकायत लिखवाने में मदद कर 5 फरवरी 25 को गंगालूर थाना ले कर गए थे । लेकिन गंगालूर थानेदार ने शिकायत यह कह कर नहीं ली कि पुलिस के खिलाफ की जा रही कोई शिकायत नहीं ली जाएगी। उसके बाद हम सब थाना के नजदीक धरना पर बैठ गए थे। वहीं आयुर्वेदिक हस्पताल के बगल के शेड में हम सब ने रात बिताई। इस बीच शीर्ष पुलिस अधिकारियों आईजी और डीआईजी बस्तर को इसकी जानकारी दी और उन्हें न्याय संगत कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया। हमारा कहना था कि अगर लोगों को एक शिकायत दर्ज करने के बुनियादी अधिकार को भी नहीं माना जाता है, तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा । इस बात पर फिर हमारी बात सुनी गई । अंतत: 19 घंटों के बाद 6 फरवरी को डीएसपी गंगालूर द्वारा शिकायत ली गई।
बेला भाटिया द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि शिकायत में मृतक और घायल ग्रामीणों के परिजनों का कहना है कि 1 फरवरी 25 की सुबह कोरचोली-तोडका के कुल 7 ग्रामीणों एवं कुटरू के एक ग्रामीण को पुलिस द्वारा गोली और चाकू से मार कर हत्या की गई है, उस दिन कोई मुठभेड़ नहीं हुई थी। प्रेस नोट में यह भी कहा गया कि उस दिन सुबह बड़ी संख्या में फोर्स ने गांवों को घेरा था और लोगों को भगाकर तोडका के नजदीक वाले पहाड़ तक खदेड़ा गया, वहां पूर्व से फोर्स तैनात थी। उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दिया, इस फाईरिंग में 8 ग्रामीण मारे गए और कुछ लोग घायल हुए जिनमें घायलों में दो ग्रामीण का अस्पताल में उपचार जारी है। मृतकों में केवल एक कमलेश नीलकंठ जो कुटरू गांव का निवासी था, वह नक्सली दलम का सदस्य था, लेकिन उस वह दिन बिना हथियार या वर्दी के अपने रिश्तेदारों से मिलने आया हुआ था।
बेला भाटिया द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि हमारी मांग है कि इस शिकायत पर एफआईआर दर्ज हो। दोषी पुलिस कर्मियों को नौकरी से निकाला जाए और उन पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए। जिन लोगों को पुलिस पकड़ कर ले गई है वे निर्देश ग्रामीण हैं उनको रिहा किया जाए। उस दिन बहुत से ग्रामीणों को पुलिस अपने साथ ले गई थी, जिनमें से कुल 15 लोगों को दो फर्जी प्रकरण बना कर जेल भेज दिया गया है। वहीं दूसरी ओर बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव के अनुसार एक फरवरी को हुए मुठभेड़ में 16 लाख के इनामी एसीएस कैडर व मिलेशिया सदस्य के रूप में मारे गये आठों पुरुष नक्सलियों की पहचान की जा चुकी है। मीडिया को मुठभेड़ शुरू होने से लेकर जवानों के वापसी तक की जानकारी एवं मारे गये नक्सलियों के शव के साथ बरामद हथियार व नक्सल सामग्री दिखाए गए थे।

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