डायनेमिक इंटरप्राइजेज ने श्रमिकों को वेतन न देकर किया 26,23,776 की धोखाधड़ी, कोर्ट का आदेश 4 आरोपियों के खिलाफ दर्ज करें मामला
दुर्ग। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के दुर्ग कोच केयर सेंटर में साफ सफाई का कार्य करने के बाद परिवादी एवं अन्य श्रमिकों को वेतन न देकर 26,23,776 रुपए की धोखाधड़ी करने वाले चार आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में परिवादी द्वारा परिवाद दायर किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग पुनीत राम गुरुपंच ने मोहन नगर थाना प्रभारी को आदेशित किया कि आरोपीगण एसपी मीणा, एसके सेनापति, आचार्य एवं रामनारायण साहू के खिलाफ धारा 420, 34 के तहत अपराध दर्ज करें। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर मामले को जांच में लिया है।
ग्राम नवागांव तहसील धमधा निवासी परिवादी मानसिंह सिन्हा ने परिवार दायर किया था कि डायनेमिक इंटरप्राइजेज मालवीय नगर दुर्ग के पार्टनर एसपी मीणा, सीनियर डीएमई कार्यालय रेलवे रायपुर, आचार्य तत्कालीन सीडीओ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर तथा रामनारायण साहू सीडीओ कोच डिपो ऑफिसर ने मिलकर परिवादी एवं अन्य श्रमिकों के साथ 26,23,776 रुपए की धोखाधड़ी की है। डायनेमिक इंटरप्राइजेज को रेलवे से ट्रेनों में साफ सफाई की व्यवस्था का ठेका प्राप्त हुआ था, जिसका कार्यालय मालवीय नगर दुर्ग में स्थित है। डायनेमिक इंटरप्राइजेज द्वारा रेलवे से ठेका प्राप्त कर जुलाई 2018 से अपना कार्य प्रारंभकिया और एसपी मीणा ने पूर्व में कंपनी के अधीन काम करने वाले श्रमिकों को अपने पास कार्य पर रख लिया था। एसके सेनापति रेलवे में सीनियर डीएमई के पद पर कार्यरत है, उसके द्वारा ठेका कार्य के संबंध में अनुबंध निष्पादित किया गया था। आरोपी आचार्य तत्कालीन सीडीओ रेलवे विभाग रायपुर द्वारा प्रदत्त बिलों को स्वीकार कर बिल पास कर दिया जाता था। आरोपी एसपी मीणा द्वारा सभी के खाते में बहुत ही कम वेतन ट्रांसफर किया गया था।
एसपी मीणा द्वारा फर्जी बिल तथा वाउचर प्रस्तुत कर दिए जाते थे और बाकी आरोपी मिलकर उसका साथ दे रहे थे। परिवादी एवं अन्य श्रमिकों को उनका संपूर्ण वेतन कभी भी नहीं दिया गया। परिवादी को पता चला कि आरोपी गण द्वारा सुनियोजित षडयंत्र कर फर्जी लोन का स्टॉलमेंट संबंधी दस्तावेजों में दर्ज किया था और फर्जी तौर पर परिवादी एवं अन्य श्रमिकों के हस्ताक्षर बनाकर स्वयं कूटरचित दस्तावेज निर्मित किए गए थे। डायनेमिक एंटरप्राइजेज ठेका कंपनी के द्वारा नियम के विरुद्ध श्रमिकों को भुगतान किया जा रहा था तथा श्रमिक कल्याण पोर्टल में भी गलत जानकारी प्रदान की जा रही थी। इस पर परिवादी ने न्यायालय में परिवाद दायर किया था।