नान घोटाले मामले में दर्ज एफआईआर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को हटाते हुए मेरिट पर निर्णय सुको ने दिए आदेश
रायपुर। नागरिक आपूर्ति निगम में वर्ष 2012 में हुए भर्ती घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक कौशलेन्द्र सिंह (रिटायर्ड आईएफएस), महाप्रबंधक एम.एन. प्रसाद राव और प्रबंधक (प्रशासन) के. एस. श्रेय के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को हटाते हुए मेरिट पर निर्णय लेने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर आगे की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। नान भर्ती घोटाले में आरोपित तीनों अधिकारी रिटायर हो चुके हैं।
2012 में नान में 15 सहायक प्रबंधकों की नियुक्ति की गई थी, ये पद वास्तव में पदोन्नति के थे लेकिन नियमों का उल्लंघन कर सीधी भर्ती की गई। जब इस अनियमितता की शिकायत हुई, तो जांच के बाद 22 फरवरी 2014 और 9 अक्टूबर 2014 को सभी 15 भर्तियों को रद्द कर दिया गया। घोटाले के उजागर होने के बाद सभी 15 सहायक प्रबंधकों को बर्खास्त कर दिया गया। जांच में सामने आया कि इन अधिकारियों को दो वर्षों के दौरान वेतन के रूप में लगभग 1.12 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। शिकायतकर्ता ने इस राशि की वसूली के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ पत्र लिखा, जिसे आर्थिक अपराध मानते हुए ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन एमडी कौशलेन्द्र सिंह, जीएम एम.एन. प्रसाद राव और प्रबंधक (प्रशासन) के. एस. श्रेय पर एफआईआर दर्ज की।
ईओडब्ल्यू रायपुर ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) और 13 (2) के तहत 2017 में एफआईआर दर्ज की थी। आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस एफआईआर पर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। 3 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को पलट दिया और मेरिट के आधार पर मामले का निर्णय लेने का निर्देश दिया।