भाजपा नेताओं के संरक्षण में जमीन कब्जाने व जमीन मुक्त करने के एवज में चल रहा लूट का कारोबार
जगदलपुर। भाजपा शासनकाल में जगदलपुर एवं चित्रकोट विधानसभा के लगभग सभी गांवों में कतिपय भाजपा नेताओं के संरक्षण में जबरिया भूमि कब्जाने और उसके बाद मुक्त करने के एवज में मोटी रकम वसूलने का रैकेट तेजी से फल-फूल रहा है। दरअसल शहर के अधिकांश लोगों ने चाहे वे नौकरी पेशा हों अथवा व्यवसायी, सभी ने अपने अपने खून-पसीने की कमाई गाढ़ी पूंजी से गांवों में जमीनें खरीद रखी है। अब इन जमीनों पर भाजपा नेताओं की वक्र दृष्टि पड़ गयी है और उन्होंने इनमें कब्जा कर तथा सत्ता का धौंस दिखाकर भू-स्वामियों से जबरिया वसूली का धंधा बना लिया है। इस लूटमार वाले काम का बाकायदा अच्छा खासा गिरोह चल रहा है। इस काम के लिए कतिपय भाजपा नेता पंचों एवं सरपंचों को आगे रखते हैं और पर्दे के पीछे से पूरा गोरखधंधा बेखौफ चला रहे हैं। चूंकि इस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार पदासीन है, इसीलिए जो भाजपा नेता इस कुचक्र में शामिल हैं, उन्हें किसी का खौफ नहीं रहता है। यदि प्रताड़ित भू-स्वामी राजस्व अधिकारियों, पुलिस एवं प्रसाशनिक अधिकारियों से गुजारिश कर अपनी जमीन वापस पाने का प्रयास करता है, तो गिरोह के सरगना ग्रामीणों को उकसाकर, अधिकारियों के खिलाफ ही अनर्गल आरोप मढ़कर अनावश्यक शोरगुल मचाने लगते हैं। इसके लिए कभी बंद की चेतावनी दी जाती है या फिर चक्का जाम करवा दिया जाता है, ताकि सार्वजनिक रूप से यह प्रदर्शित हो कि ग्रामीण नाराज हैं। ऐसी परिस्थिति में अधिकारी वर्ग भी सत्ता से टकराना नहीं चाहता है और समूचे मामले से पल्लू झाड़ लेता है, इसके बाद शुरू होता है भू-स्वामी से ब्लैक मेलिंग का सिलसिला।
सर्वप्रथम ऐसी जमीनों का चयन किया जाता है, जिनके भू-स्वामी शहर के निवासी हैं, उन जमीनों को चिन्हित कर पंच-सरपंचों के माध्यम से जबरन खेती-बाड़ी करवायी जाती है अथवा सड़क किनारे की जमीनों पर 20-25 फीट का हिस्सा नजूल होता है, जो भविष्य में सड़क चौड़ीकरण के लिए रिक्त रखा जाता है, उससे लगी निजी भूमि होती है, जो कानूनन आवागमन के लिए भूमि स्वामी के हक की मानी जाती है। पंच-सरपंच सड़क से लगी जमीन को नजूल की बताकर दादागिरी दिखाते हुए भू-स्वामी के जमीन का रास्ता ही पूर्णत: बंद कर देते हैं। दबाव बनाने भू-स्वामी की जमीन के सामने कटीले तार से घेराबंदी कर दी जाती है, ताकि भू-स्वामी विवश होकर उनके सामने घुटने टेक दे और उससे अच्छी खासी रकम वसूल की जा सके। यदि तमाम हथकंडों के बाद भी भूमि स्वामी जेब ढीली न करे, तो दूसरा रास्ता अख्तियार किया जाता है। पंच-सरपंचों को हथियार बनाकर उनसे राजस्व न्यायालयों में उल्टी-सीधी शिकायतें दर्ज करवायी जाती हैं, या फिर जमीन का कब्जा किसी अन्य के नाम बताकर मामले को विवादित मोड़ दे दिया जाता है। वसूलीबाजों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि अब तो रकम ऐंठने जिस जमीन पर चहारदीवारी बनी हो उस पर भी बलात कब्जा बताकर लूटमार का सिलसिला चालू कर दिया गया है।
पीड़ित भू-स्वामी नाम नही छापने की शर्त पर बस्तरवासियों काे अपनी सलाह देते हुए कहा कि जब तक प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तब तक वे गांवों में जमीन खरीदें ही नहीं और अगर खरीदें तो इसका तत्काल सीमांकन करवाकर चहारदीवारी बनवा लें, अन्यथा पता नहीं कब किसी लालची भाजपाई की उस पर नजर पड़ जाये और उन्हें अपनी जमीनों से हाथ धोना पड़े। कमाल की बात तो यह है कि आज की तिथि में शहर का हर पांचवा नागरिक इन लुटेरों की गिरफ्त में परेशान और हलाकान है।